'इंसान की खोपड़ी में छेद कर इसी साल लगा दी जाएगी कंप्यूटर चिप' - Khulasa Online 'इंसान की खोपड़ी में छेद कर इसी साल लगा दी जाएगी कंप्यूटर चिप' - Khulasa Online

‘इंसान की खोपड़ी में छेद कर इसी साल लगा दी जाएगी कंप्यूटर चिप’

स्पेसएक्स, टेस्ला जैसी कंपनियों के मालिक एलन मस्क ने कहा है कि एक साल के भीतर इंसान के दिमाग के भीतर लगाने वाले कंप्यूटर चिप को तैयार कर लिया जाएगा और उसे इंसान के सिर में लगा भी दिया जाएगा. यानी इंसान का दिमाग सीधे इस चिप के जरिए कंप्यूटर से जुड़ जाएगा. एलन मस्क ने 2016 में न्यूरालिंक कंपनी की स्थापना की थी जो अल्ट्रा हाई बैंडविथ ब्रेन-मशीन इंटरफेस तैयार करने में जुटी है.जो रोगन के पॉडकास्ट शो में एलन मस्क ने कहा कि इंसान के दिमाग में चिप लगाने का काम एक रोबोट करेगा. उन्होंने कहा कि यह तकनीक करीब 25 साल में फुल ब्रेन इंटरफेस के रूप में भी तैयार हो सकती हैअसल में एलन मस्क का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इंसानों पर हावी न हो जाए, इसलिए इंसानी दिमाग को कंप्यूटर से जोड़ना जरूरी है. मस्क ने बताया कि इंसान की खोपड़ी से एक टुकड़ा निकाला जाएगा. रोबोट के जरिए इलेक्ट्रोड्स दिमाग में डाल दिए जाएंगे और छेद में डिवाइस लगा दिया जाएगा. मस्क ने कहा कि इससे सिर के ऊपर छोटा सा दाग रहेगा.>न्यूरालिंक एक ऐसी ‘थ्रेड’ बनाने पर भी काम कर रही है कि जो इंसानों के बाल के दसवें हिस्से जितनी पतली होगी. यह थ्रेड इंसानों के ब्रेन इन्जरी को ट्रीट करने का काम करेगीमस्क ने कहा कि अब तक इस तकनीक का टेस्ट इंसानों पर नहीं किया गया है, लेकिन एक साल के भीतर इसे इंसानों के दिमाग में लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि एक बंदर के सिर में एक वायरलेस इंप्लांट लगाया जा चुका है. इसके जरिए बंदर अपने दिमाग का इस्तेमाल कर वीडियो गेम खेल सकता है.मस्क ने कहा कि अब तक इस तकनीक का टेस्ट इंसानों पर नहीं किया गया है, लेकिन एक साल के भीतर इसे इंसानों के दिमाग में लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि एक बंदर के सिर में एक वायरलेस इंप्लांट लगाया जा चमस्क ने कहा कि अब तक इस तकनीक का टेस्ट इंसानों पर नहीं किया गया है, लेकिन एक साल के भीतर इसे इंसानों के दिमाग में लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि एक बंदर के सिर में एक वायरलेस इंप्लांट लगाया जा चुका है. इसके जरिए बंदर अपने दिमाग का इस्तेमाल कर वीडियो गेम खेल सकता है.=मस्क ने बताया कि दिमाग के भीतर लगाई जाने वाली डिवाइस की मोटाई एक इंच होगी. दिमाग में बाहरी वस्तु रखे जाने के खतरे के बारे में पूछे जाने पर मस्क ने कहा कि इस डिवाइस के रिजेक्शन का खतरा काफी कम रहेगा.

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