
कलक्टर साहब गौर फरमाइए : पीबीएम में चल रहा है मनमर्जी का खेल, पॉजीटिव को जबरन डिस्चार्ज क्यों ?





खुलासा न्यूज़, बीकानेर। जिले में कोरोना का विस्फोट लगातार जारी है। मंगलवार को रिकार्ड तोड़ 169 पॉजिटिव मरीज सामने आए तो वहीं बुधवार को पहली रिपोर्ट में 78 पॉजिटिव मरीज सामने आए है। कोरोना रोगियों की संख्या बढऩे के साथ ही पीबीएम अस्पताल अपनी मनमर्जी पर उतर आया है और कोरोना पॉजीटिव मरीजों को बिना नेगेटिव आए ही घर भेज रहे है। आरोप है कि कोविड अस्पताल से रोगियों को बिना आग्रह किए ही ‘ऑन रिक्वेस्ट’ छुट्टी देकर घर भेजा जा रहा है। ऐसा एक मामला बुधवार को सामने आया। वहीं कोविड सेंटर से भी रोगियों को बिना नेगेटिव रिपोर्ट ही घर भेजने के आरोप लगाए जा रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार पीबीएम अस्पताल के कोविड सेंटर में भर्ती रोगी सुरेश आचार्य ने जब दवाओं के लिए चिकित्सकों से सम्पर्क किया तो उन्हें सीधे ‘डिस्चार्ज कार्ड’ सौंप दिया गया। बताया गया कि उन्हें छुट्टी दी जा रही है। जब सुरेश ने कहा कि उसकी रिपोर्ट अभी नेगेटिव नहीं आई है तो संबंधित कार्मिक ने कहा कि दस दिन हो जाने के कारण अब छुट्टी दे रहे हैं। सुरेश को आश्चर्य तब हुआ जब उसके डिस्चार्ज कार्ड पर ‘ऑन रिक्वेस्ट’ लिखा हुआ था। जबकि उसने किसी तरह की कोई रिक्वेस्ट (आग्रह) नहीं किया था।
पार्षद प्रतिनिधि सुभाष स्वामी का कहना है कि यह गजब की धांधली है। कायदे से कौशल की कोविड जांच होनी थी लेकिन उसे छुट्टी दे दी गई। छुट्टी देते हुए भी क्वारेंटाइन आदि के निर्देश तो दिए गए, लेकिन ऑन रिक्वेस्ट का कैसे लिखा जा सकता है जबकि कौशल ने तो जांच के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि उनकी भाभी, भाई, मां, और भतीजे कोरोना पॉजीटिव होने की वजह से भर्ती है, ऐसे में कौशल को छुट्टी देने का माजरा समझ नहीं आ रहा है। यह रिपोर्ट में गड़बड़झाला है।
इस मामले को लेकर कलक्टर नमीत मेहता को अतिशीध्र ध्यान देना होगा, वरना शहरवासियों का इस अस्पताल से विश्वास उठ जाएगा।
भीड़ बढ़ते ही बदल गए नियम
कोविड अस्पताल में रोगियों की संख्या बढऩे के साथ ही उन्हें छुट्टी देने के नियम ही बदल गए। एक दिन पहले तक जो लोग आग्रह कर रहे थे, उन्हें भी छुट्टी नहीं मिल रही थी लेकिन अब बिना आग्रह ही छुट्टी दे रहे हैं। दरअसल, अस्पताल के चार फ्लोर है, जो अब पूरी तरह भर चुके हैं। बिस्तरों का अभाव होने के कारण अत्यंत गंभीर रोगियों को ही वहां रखा जा रहा है। चिकित्सकों को लगता है कि कोई रोगी दो-तीन दिन में नेगेटिव हो जाएगा, उसे भी छुट्टी दी जा रही है।


