सीएम के सलाहकारों और संसदीय सचिवों को न मंत्री का दर्जा मिलेगा, न वेतन भत्ते - Khulasa Online सीएम के सलाहकारों और संसदीय सचिवों को न मंत्री का दर्जा मिलेगा, न वेतन भत्ते - Khulasa Online

सीएम के सलाहकारों और संसदीय सचिवों को न मंत्री का दर्जा मिलेगा, न वेतन भत्ते

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के छह सलाहकारों की नियुक्ति पर हुए विवाद के बीच अब सरकार ने इन्हें लाभ के पद के दायरे से बाहर निकालने की तरकीब सोच ली है। अब तक बने सीएम के 6 सलाहकारों और आगे बनने वाले संसदीय सचिवों को अब न मंत्री का दर्जा मिलेगा, न वेतन-भत्ते और न दूसरी सुविधाएं मिलेंगी। आगे बोर्ड, निगमों में विधायकों को राजनीतिक नियुक्ति देने में भी यही पैटर्न अपनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को साफ तौर पर इसके संकेत दे दिए हैं कि विधायकों को इस तरह नियुक्तियां दी जाएंगी, जिससे वे लाभ के पद के दायरे से बाहर रहें।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के छह सलाहकारों की नियुक्ति को बीजेपी ने लाभ का पद करार देते हुए राज्यपाल को चि_ी लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की थी। राज्यपाल ने इस पर सरकार से जवाब मांगा है, सरकार की तरफ से जवाब भेजा जा रहा है। इस वजह से ससंदीय सचिवों की नियुक्ति फिलहाल रुकी हुई है।
गहलोत बोले- बिना वेतन सलाहकार,संसदीय सचिव बनाने से कौन रोकेगा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा- सबको पता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कोई राज्य सरकार विधायकों को मंत्री का दर्जा नहीं दे सकती। वेतन और भत्ते नहीं मिल सकते हैं। इन्हें आप घटा दो तो आप सलाहकार बनाओ, संसदीय सचिव बनाओ, कौन आपको रोकेगा? हम आदेश निकालेंगे तो ऐसा निकालेंगे जिसमें कोई तकलीफ नहीं हो। सरकार चला रहे हैं तो हमें भी पता है क्या होना चाहिए। पहले संसदीय सचिव बनते थे तो सीएम शपथ दिलाते थे। अब आप मंत्री का दर्जा और वेतन भत्ते नहीं दे सकते, साधारण सी बात है।
सीएम के बयान के मायने
सीएम के बयान से यह साफ हो गया है कि आगे अब ​विधायकों को मिलने वाली नियुक्तियों में मंत्री का दर्जा नहीं मिलेगा। वेतन भत्ते नहीं मिलेंगे। अब भी बड़ी संख्या में कांग्रेस और निर्दलीय विधायक संसदीय सचिव और राजनीतिक नियुक्तियों के लिए कतार में हैं। अब यह तय हो गया है कि इन पदों का चार्म खत्म हो जाएगा।
विधायक लाभ के पद पर नहीं रह सकते
कानूनी प्रावधानों के मुताबिक कोई भी विधायक मंत्री को छोड़ ऐसा कोई पद नहीं ले सकते, जिसमें वेतन भत्ते सहित कोई नकद लाभ मिलता हो। इस वजह से कैबिनेट या राज्य मंत्री का दर्जा भी नहीं ले सकते। बोर्ड, निगमों के अध्यक्ष,संसदीय सचिव या सलाहकार के पद पर विधायक को अगर मंत्री का दर्जा दिया जाता है तो इसे लाभ का पद माना जाएगा। विधायक के लाभ के पद पर होने पर इस्तीफा देना होता है।
मंत्री बनने से वंचित विधायकों का असंतोष दूर करने में दिक्कत आएगी
मंत्री बनने से वंचित विधायकों को संतुष्ट करने के लिए अब तक संसदीय सचिव और राजनीतिक नियुक्तियां देकर संतुष्ट किया जाता रहा है। अब मंत्री बनने से वंचित विधायकों का असंतोष दूर करने का सियासी हथियार बेकार हो जाएगा।

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