
हर कोरोना पॉजिटिव सैंपल में ढूंढा जाएगा चीनी वैरिएंट राजस्थान के हेल्थ सेक्रेटरी बोले- बढ़ सकते हैं मरीज






जयपुर। चीन और जापान में फिर से कोरोना फैलने के बाद राजस्थान भी अलर्ट मोड पर आ गया है। केन्द्र सरकार के निर्देश जारी होने के बाद प्रदेश के हेल्थ डिपार्टमेंट ने सभी जिला कलेक्टर्स को पॉजिटिव आ रहे मरीजों की जीनोम सिक्वेंसिंग करवाने के लिए कहा है।
गुरुवार को कोरोना मैनेजमेंट के लिए बुलाई बैठक में हेल्थ सेक्रेटरी पृथ्वी सिंह ने नए वैरिएंट के कारण मरीज बढऩे की आशंका व्यक्त की। हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी और आने वाले कुछ समय तक पैनिक जैसी कोई स्थिति नहीं है।
100 बैड अभी रिजर्व हैं
सिंह ने बताया कि कोविड भी एक तरह का इन्फुएंजा है और पहले फेज के बाद वैक्सीनेशन और इंफेक्शन की वजह से जो लोगों में नैचुरल इम्युनिटी बनी थी। उसके बाद जो लोग दूसरे फेज में पॉजिटिव आए उनकी सीवियरिटी ज्यादा नहीं थी। ओमिक्रॉन के समय हमारे आरयूएचएस में 100 बेड भी नहीं भरे थे।
आज भी हमने 100 बैड्स वहां कोविड मरीजों के लिए रिजर्व कर रखे है और पिछले 15 दिन में एक भी एडमिशन नहीं आया है। तो वो सब स्थिति एक्सपीरियंस को देखकर एक्सपट्र्स भी मान रहे है कि ऐसी पहले फेज जैसी स्थिति शायद अब नहीं आएगी। नंबर ऑफ केस जरूर बढ़ सकते है, लेकिन सीवियरिटी नहीं आएगी।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में वर्तमान में टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 0.1 फीसदी है, जो बहुत ही कम है। एक्सपट्र्स मानते है कि जब 5 फीसदी तक पॉजिटिविटी रेट पहुंचती है तो चिंता का विषय होती है। ये भी उस पर डिपेंड करता है कि सेंपल की संख्या क्या है? आज हमारे यहां देश में सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन हुआ है, जिससे लोगों में अच्छी इम्युनिटी डवलप है।
जीनोम सीक्वेंसिंग एक तरह से किसी वायरस का बायोडाटा निकालने का तरीका है।
जीनोम सीक्वेंसिंग एक तरह से किसी वायरस का बायोडाटा निकालने का तरीका है।
हर जिले में होगी जीनोम सीक्वेंसिंग
कोरोना के जिस सबसे घातक वैरिएंट को लेकर कई देश सहमे हुए हैं, वो फिलहाल राजस्थान में भी तो कहीं नहीं पहुंच गया, इसके लिए डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी डॉ. पृथ्वी ने पॉजिटिव केस की जीनोम सिक्वेंसिंग के आदेश जारी किए हैं। उन्होंने सभी सीएमएचओ को सैंपल भिजवाने के लिए कहा है ताकि कोरोना का कोई अगर नया वैरिएंट मिलता है तो उसे डिटेक्ट कर लोगों को अलर्ट किया जा सके।
हेल्थ सेक्रेटरी ने ये सैंपल जयपुर और जोधपुर मेडिकल कॉलेज की लैब में भिजवाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही पूर्व में जारी प्रोटोकॉल के तहत पॉजिटिव मरीज के डिटेक्ट होने के बाद उसे आइसोलेट करने और रिपोर्ट आने तक उस पर मॉनिटरिंग रखने के निर्देश दिए हैं।
जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज की माइक्रो बायोलॉजी लैब में अभी जीनोम सीक्वेंसिंग करवाई जा रही है। पिछले 3-4 माह से हर महीने 70 से 80 सैंपल टेस्ट किए जा रहे हैं। कॉलेज में माइक्रो बायोलॉजी की एचओडी और सीनियर प्रोफेसर डॉ. भारती मल्होत्रा ने बताया कि पिछले 5-7 महीने से जितने भी सीक्वेंसिंग किए गए है उनमें ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट डिटेक्ट हो रहे हैं।
शॉर्ट सीरो सर्वे से जानेंगे जनता की इम्युनिटी स्टेट्स
एसएमएस मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी की एचओडी डॉ. भारती मल्होत्रा ने बताया कि हम जल्द ही शॉर्ट सीरो करने जा रहे है। ये जयपुर बेस होगा, जिसमें हेल्थ केयर वर्कर्स के अलावा जनरल पब्लिक के ब्लड सैंपल लेकर उनकी इम्युनिटी स्टेटस को चैक किया जाएगा। इस सर्वे की रिपोर्ट जनवरी के पहले या दूसरे सप्ताह तक जारी कर दी जाएगी। इस सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर हम आगे की प्लानिंग करेंगे कि कोरोना की बूस्टर डोज का प्रोग्राम कैसे सेट करना है और आने वाली वेव से बचने के लिए क्या तैयारियां करनी है।
राज्य सरकार ने जारी की गाइडलाइन
इससे पहले गुरुवार देर शाम राजस्थान सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट ने कोविड को लेकर नई गाइडलाइन करते हुए भीड़-भाड़ वाले एरिया में फिर से रैंडम सैंपलिंग करवाने के आदेश दिए हैं। ये रैंडम सैंपलिंग रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, सब्जी मंडी समेत अन्य जगहों पर करवाई जाएगी। इसके साथ ही पीएचसी, सीएचसी और हॉस्पिटल आने वाले संदिग्ध मरीजों की सैंपलिंग करवाने के निर्देश दिए हैं।
निदेशक स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी इस गाइडलाइन में सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) को निर्देश दिए हैं कि चीन, जापाना, कोरिया, अमेरिका में कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए यहां भी सतर्क रहने की जरूरत है। इसके लिए अब हर संदिग्ध मरीज के सैंपल लेकर उसकी जांच करवाई जाए और पॉजिटिव मिलने पर उसे जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए भिजवाया जाएं।
ये है गाइडलाइन में प्रावधान
हर जिले में घर-घर सर्वे टीम जाएगी और संदिग्ध रोगियों की पहचान करेगी।
हॉस्पिटल में ओपीडी में आने वाले संदिग्ध मरीजों का सैंपल लेकर उसकी जांच करवाए।
पॉजिटिव मिलने वाले सभी मरीजों के सैंपल कलेक्ट करवाए जाए।
प्रदेश के सभी जिलों और उपखण्ड पर पूर्व में बनाए कंट्रोल रूम को फिर से एक्टिव कर लोगों को इससे कनेक्ट करने के लिए जागरूक किया जाए।
सभी छोटे-बड़े हॉस्पिटलों में दवाइयों और जांच किट की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
कलेक्टर अपने जिलों में पुलिस, नगर पालिकाओं, पंचायती राज विभाग, पुलिस एवं महिला बाल विकास के कर्मचारियों संग बैठक कर इस वायरस के रोकथाम और कंट्रोल के लिए समीक्षा करें।


