बाल साहित्य सृजन से पूर्व समझना और परखना पड़ता है बच्चों का मनोविज्ञान - Khulasa Online बाल साहित्य सृजन से पूर्व समझना और परखना पड़ता है बच्चों का मनोविज्ञान - Khulasa Online

बाल साहित्य सृजन से पूर्व समझना और परखना पड़ता है बच्चों का मनोविज्ञान

 

बीकानेर। बच्चों के लिए साहित्य सृजन बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। बाल साहित्यकार को लेखन से पूर्ण बच्चों के मनोविज्ञान को समझना और परखना पड़ता है। जोशी इस उम्मीद पर खरे उतरे हैं। उनका बाल उपन्यास हर बच्चे के इर्द-गिर्द घूमता है।
मनीष जोशी के राजस्थानी बाल उपन्यास ‘मोळियो’ के विमोचन के दौरान अतिथियों ने यह उद्गार व्यक्त किए।
अजीत फाउंडेशन सभागार में रविवार को पश्चिम राजस्थान खेल लेखक संघ और मुक्ति संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘लोक निजर उछब’ की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि कथाकार राजेंद्र जोशी ने की। उन्होंने कहा कि ‘मोळियो’ के माध्यम से जोशी ने बच्चों की मनोदशा का बेहतरीन चित्रण किया है। उपन्यास में सभी किरदारों के चरित्र के साथ न्याय हुआ है। उन्होंने कहा कि बाल साहित्य को बच्चे पसंद करें, यही इसकी सबसे बड़ी सफलता होती है।मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए जवाहर बाल साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष बुलाकी शर्मा ने कहा कि राजस्थानी में बाल साहित्य सृजन की अनेक संभावनाएं हैं। युवा लेखकों का इस ओर आना अच्छे संकेत हैं। उन्होंने कहा कि ‘मोळियो’ में जोशी ने प्रत्येक किरदार के चरित्र के साथ न्याय किया है।विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए सहायक निदेशक (जनसंपर्क) हरि शंकर आचार्य ने ‘मोळियो’ को राजस्थानी बाल उपन्यास यात्रा का एक सुनहरा पड़ाव बताया। उन्होंने कहा कि उपन्यास में उपयोग लिए गए आम बोलचाल के शब्द इसकी स्वीकार्यता को बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि मोबाइल और सोशल मीडिया के दौर में आज साहित्य सृजक के लिए चुनौतियां बढ़ी हैं।
कोलकता के समाजसेवी रामकुमार व्यास ने कहा कि राजस्थानी में साहित्य सृजन करना लेखक के मातृ भाषा के प्रति प्रेम को दर्शाता है।इससे पहले व्यंग्यकार आत्माराम भाटी ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने जोशी की सृजन यात्रा के बारे में जानकारी दी।कथाकार सुनील गज्जाणी ने पत्रवाचन के दौरान पुस्तक के शिल्प सौंदर्य की जानकारी दी।पुस्तक के लेखक मनीष जोशी ने पुस्तक के पात्रों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि ‘मोळियो’ के माध्यम से राजा की‌ न्यायप्रियता, माता-पिता और गुरु की जिम्मेदारी और बच्चों की चपलता को चित्रित करने का प्रयास किया गया है।
इससे पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद पुस्तक का विमोचन हुआ। इस दौरान चित्रकार योगेन्द्र पुरोहित और बाल चित्रकार दिशा पुरोहित का सम्मा‍न किया गया। पुस्तक की प्रतियां मौजीज लोगों को भेंट की गई। मनोज व्यास ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन संजय पुरोहित ने किया।
इस दौरान वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वपर्णकार, डॉ. अजय जोशी, रमेश भोजक समीर, नदीम अहमद नदीम, कमल व्यास, जितेन्द्र पुरोहित, गोविन्द व्यास, अनिल जोशी, संजय श्रीमाली, संतोष किराडू, जुगल किशोर व्यास, गोविन्द व्यास, राजकुमार जोशी, अब्दुल गफ्फार, शशि मोहन हर्ष, गोपाल सोनी, राजेंद्र तिवाड़ी, चंदन पालीवाल, गोपाल दास बोहरा और शिवजीराज आचार्य सहित अनेक लोग और बच्चे मौजूद रहे।

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