बच्चे व युवा इस वजह से उठा रहे आत्महत्या जैसे बड़े कदम - Khulasa Online बच्चे व युवा इस वजह से उठा रहे आत्महत्या जैसे बड़े कदम - Khulasa Online

बच्चे व युवा इस वजह से उठा रहे आत्महत्या जैसे बड़े कदम

बीकानेर. विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के उपलक्ष में मानसिक रोग एवं नशामुक्ति विभाग पीबीएम अस्पताल की ओर से शनिवार को सुबह मेडिकल कॉलेज से साइकिल रैली निकाली गई। रैली को मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. मो. सलीम, अतिरिक्त प्रधानाचार्य डॉ. रंजन माथुर, डॉ. सुरेन्द्र वर्मा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह रैली मेडिकल कॉलेज से होकर म्यूजियम सर्किल होते हुए शिवकिशन मिंडाराम राजकीय मनोचिकित्सा विभाग एवं नशामुक्ति केन्द्र में हुआ। विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीगोपाल गोयल, आचार्य डॉ. हरफूल सिंह, सहायक आचार्य डॉ. राकेश गढ़वाल, डॉ. निशांत चौधरी, डॉ. संगीता हटिला, सीनियर रेजीडेंट डॉ. लक्ष्मी कुमारी, डॉ. प्रीतम सिंह, रेजिडेंट डॉ. राकेश कुमार, डॉ. राधेश्याम, नर्सिंग अधीक्षक अजय स्वामी, सुनील शर्मा, प्रेमरतन, रविन्द्र सक्सेना, लालचन्द, मेवासिंह, रविन्द्र भाटी व स्टाफ ने रैली में भाग लिया।

मानसिक रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीगोपाल गोयल ने खुलासा से विशेष बातचीत में कहा कि आत्महत्या के विचार आना, प्रत्येक व्यक्ति के अलग-अलग कारण है। किसी भी टेक्नोलोजी का अत्यधिक प्रयोग व गलत इस्तेमाल करते है उसका प्रभाव दिमाग पर पड़ता है। जिससे मानसिक रोग की समस्या भी बढ़ती है। इसमें उदासी, घबराहट, बैचेनी बढ़ने से आत्महत्या के विचार आने लगते है। आजकल यह देखा गया कि नशे की प्रवृति भी बहुत सारे युवा में देखने को मिल रही है यह भी एक कारण है। आत्महत्या बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है कि पहले संयुक्त परिवार था, वो अब सिंगल परिवार का सिस्टम हो गया। आजकल लोग बच्चों के लिए समय नहीं निकल पाते है बच्चे क्या सोच रहे और उनकी भावनाओं को समझ नहीं पाते है। पैरेंट्स बच्चों के साथ बैठे और उनकी भावनाओं को समझे, तो बच्चा अपनी भावनाओं को व्यक्त करता था। यदि ऐसा लगता है कि बच्चा किसी बात को लेकर परेशानी में है तो समाधान नहीं निकल रहा है तो वो बच्चा कई बार आत्महत्या जैसे कदम उठा लेता है। उसके बाद हमें पता चलता है कि इस बच्चे के आत्महत्या का यह कारण रहा। इस वर्ष डब्ल्यूएचओ की थीम है कि कर्म के द्वारा आशा की किरण जगाना। गोयल ने बताया कि यदि परिवार के सदस्य बच्चे के पास बैठकर प्यार से उनकी बात सुनता है बच्चे को विश्वास आता है कि मेरी बात भी कोई सुनने वाला है। वरना बच्चा को लगता है कि परिवार के सदस्य बोलूंगा या परिवार के सदस्य डाटेंगे तो बच्चे के मन की भावनाएं व्यक्त करने से रोकता है। गोयल ने बताया कि वर्ष 2021 भारतवर्ष 6 प्रतिशत प्रति लाख के आधार आत्महत्या बढ़ी है। कोरोना में बच्चों व युवाओं का एक कमरे व घर में रहना है, मानसिक परेशानियां बढ़ी है। डॉ. गोयल ने बताया कि हमारे पास मानसिक रोग आते है उनमें सबसे ज्यादा सोशल मीडिया या इंटरनेट युवा के मस्तिष्क के प्रभावित करता है और जो कंटेंट इस उम्र में नहीं देखना चाहिए वो आसानी से उपलब्ध हो जाते है और इससे बच्चों में चिड़चिड़ापन, गुस्सा और खुद को नुकसान पहुंचाने के विचार के केस ज्यादा आ रहे है। गोयल ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को आत्महत्या के विचार आ सकते है। यह विचार कमजोरी के लक्षण नहीं है यहां अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 250 से 300 मरीज आ रहे है। उन्होंने बताया कि हर साल मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अभी हमारे पास सभी आयु वर्ग के मरीज आ रहे है। हमारे पास 5 से 20 के बच्चे ज्यादा आ रहे है जो पहले नहीं आते थे।

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