
पायलट में ‘सिंधिया’ के लक्षण,किन्तु पायलट के ‘सिंधिया’ बनने में ये पेंच





जयपुर। राजस्थान में सरकार को लेकर सियासत पूरी तरह उफान पर है। ताजा सूचना यह है कि हरियाणा के मानेसर में ठहरे विधायक और डिप्टी सीएम सचिन पायलट अब सीएम गहलोत से नाराजगी को लेकर कांग्रेस आलाकमान के सामने अपनी बात रखने को आतुर है। यह जानकारी मिली है कि राजस्थान में बढ़ी राजनीतिक तल्खी के बीच, उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और करीबी सोनिया गांधी के सहयोगी अहमद पटेल से मुलाकात की है। शनिवार देर रात हुई बैठक में पायलट ने गहलोत पर गंभीर आरोप लगाते हुए पटेल से कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उन्हें दरकिनार करने की कोशिश कर रहे हैं ।
पटेल ने दिलाया विश्वास,अन्याय नहीं होने देंगे
मिली जानकारी के अनुसार सीएम और डिप्टी सीएम के बीच अंतर्कलह की बात सामने आने के साथ ही अब कांग्रेस हाइकमान के बीच हलचल मचा दी है। कांग्रेस हाइकमान की ओर से हालांकि अभी तक इस मामले में कोई बयान सामने नहीं आय़ा है। लेकिन यह सूचना मिली है कि पटेल ने पायलट को भरोसा दिलाया है कि किसी भी तरह का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार पटेल ने पायलट से कहा है कि धैर्य दिखाएं और अपने भविष्य को बर्बाद न करें। उन्होंने आश्वासन दिया कि चीजों को सुलझा लिया जाएगा।
सचिन ने 23 विधायकों के समर्थन की भी रखी बात
यह भी सूचना मिल रही है कि सचिन में लगभग 23 विधायकों का उन्हें समर्थन होने की बात भी पटेल को बताई है। यह वहीं 23 विधायक हैं, जो सचिन पायलट के साथ दिल्ली पहुंचे हैं। वहीं गहलोत और पायलट के बीच गहरी दरार को अब मध्यप्रदेश कमलनाथ सरकार घटनाक्रम से भी जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया नाराज विधायकों के समर्थन के साथ बीजेपी में शामिल हो गए थे। ऐसे में अब गहलोत – पायलट मनमुटाव ने कांग्रेस हाईकमान में बीच खतरे की घंटी बजा दी है।
जानें एमपी से कितना अलग है राजस्थान की राजनीतिक समीकरण
राजस्थान में सियासी उठापटक जारी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराज उपमुख्यंत्री सचिन पायलट दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं। ये भी चर्चा चल रही है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह सचिन पायलट भी कांग्रेस से अलग हो सकते हैं। इन बातों में कितना दम है इसे मौजूदा राजनीतिक समीकरण से समझने की कोशिश करते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बने रहने के लिए माहौल बना रहे हैं सचिन पायलट?
सचिन पायलट करीब साढ़े छह साल से राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। उनके समर्थक चाहते हैं कि यह पद पायलट के पास ही बनी रहे। जबकि मांग चल रही है कि प्रदेश अध्यक्ष बदला जाए। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए ब्राह्मण कोटे से रघु शर्मा, महेश जोशी और जाटों से लालचंद कटारिया, ज्योति मिर्धा का नाम आगे किया जा रहा है। इसके अलावा रघुवीर मीणा का भी नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए लिया जा रहा है। इसपर आखिरी फैसला कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी को लेना है।सूत्रों का कहना है कि बिहार में प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान होने के दौरान ही कांग्रेस राजस्थान में पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है। हालांकि इसपर अभी तक कोई आधाकारिक पुष्टि नहीं है। सूत्र बताते हैं कि सचिन पायलट किसी भी सूरत में इस पद पर आगे भी बने रहना चाहते हैं। राजनीति के जानकार मानते हैं कि मौजूदा राजनीतिक हालात में सचिन पायलट राज्य में पार्टी की कमान अपने पास ही रखना चाहते हैं। वह इसमें कोई ढील नहीं चाहते हैं।
क्या सिंधिया बनेंगे पायलट?
मध्य प्रदेश और राजस्थान के मौजूदा राजनीतिक हालात काफी अलग हैं। मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी इस बात को लेकर थी कि उन्हें कोई अधिकार नहीं दिए गए थे। उन्हें कोई पद नहीं दिया गया था, लेकिन राजस्थान में अशोक गहलोत ने कमलनाथ वाली गलती नहीं की है। मध्य प्रदेश में कमलनाथ सीएम के साथ प्रदेश अध्यक्ष पद भी अपने पास रखे हुए थे। वहीं गहलोत ने सचिन पायलट को अपनी कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री का ओहदा दे रखा है। साथा ही पायलट प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी बने हुए हैं।
सीटों के समीकरण में बीजेपी काफी पीछे
मध्य प्रदेश में सीटों को लेकर बीजेपी कांग्रेस के बीच गैप काफी कम था, जिसे पाटना संभव था, लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं है। इस वक्त राजस्थान में बीजेपी के 72 विधायक हैं, आरएलपी के 3 विधायक उन्हें समर्थन दे रहे हैं। इस तरह इस खेमे में 75 विधायक हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के खुद के 107 विधायक हैं और निर्दलीय व अन्य छोटी पार्टियों के समर्थन से उसके पास 120 का नंबर है। विधानसभा की स्ट्रेंथ 200 है यानी बहुमत के लिए 101 सीट ही काफी है। कांग्रेस के पास खुद ही सामान्य बहुमत से ज्यादा सीटें हैं। बीजेपी और कांग्रेस खेमे की तुलना करें तो उनमें 45 विधायकों का अंतर है। 45 विधायकों का फासला पाटना लगभग नामुमकिन सा है।अगर मध्य प्रदेश की तरह इतनी बड़ी संख्या में विधायक कांग्रेस से बीजेपी में चले भी जाते हैं तो उनकी सदस्यता जाने का खतरा होगा। साथ ही अगर इन सीटों पर उपचुनाव भी होते हैं तो इतनी बड़ी संख्या में दूसरी पार्टी से आने वाले नेताओं को बीजेपी टिकट कैसे देगी ये भी बड़ा सवाल है। इसके अलावा बड़ा सवाल यह भी है कि क्या सचिन पायलट को बीजेपी का राजस्थान पार्टी नेतृत्व स्वीकार पाएगा। क्योंकि राजस्थान बीजेपी में मुख्यमंत्री के पद को लेकर कोई वैकेंसी फिलहाल खाली तो नहीं दिखती है। मौजूदा राजनीतिक हालात में अगर सचिन पायलट बीजेपी में जाने की सोचेंगे तो बिना सीएम पद के वो तैयार हो जाएं इसकी संभावना कम ही लगती है।ऐसे में माना जा रहा है कि राजस्थान कांग्रेस के नाराज विधायक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर अपने हित में फैसले के लिए दबाव बना सकते हैं। साथ ही गहलोत सरकार में अपने जो भी काम हैं उसे करवा सकते हैं, लेकिन पार्टी से अलग होने की बात फिलहाल मुश्किल दिख रहा है।


