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किसी रचना का दूसरी भाषा में अनुवाद करना चुनौतीपूर्ण

बीकानेर। राजस्थानी कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद करते हुए रजनी छाबड़ा ने इन्हें अंतरराष्ट्रीय फलक पर विशेष पहचान दिलाई है। इससे अंग्रेजी साहित्य के पाठकों को राजस्थानी भाषा और साहित्य की गहराई तथा भावों को समझने का अवसर मिलेगा।
वरिष्ठ साहित्यकार और अनुवादक रजनी छाबड़ा की दो पुस्तकों (राजस्थानी कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद एक्रॉस दा बॉर्डर और स्काई इज दा लिमिट) का विमोचन करते हुए शनिवार को अतिथियों ने यह बात कही।
जयनारायण व्यास कॉलोनी में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष तथा वरिष्ठ कवि कथाकार राजेंद्र जोशी थे। उन्होंने कहा कि किसी भी रचना का अन्य भाषा में अनुवाद करना बेहद चुनौतीपूर्ण है। इस दौरान रचना की मूल भावना को बचाए रखना सबसे जरूरी होता है। उन्होंने कहा कि छाबड़ा इस चुनौती पर खरी उतरी हैं। अनुवाद के दौरान उन्होंने प्रत्येक रचना के सौंदर्य और भावों को संजोए रखा है।
अध्यक्षता करते हुए सहायक निदेशक (जनसंपर्क) हरि शंकर आचार्य ने कहा कि छाबड़ा ने अनुवाद के लिए राजस्थानी के मूर्धन्य साहित्यकारों सहित नए लेखकों की कविताओं को भी सम्मिलित किया है। इससे अनुवाद संकलन में विविधता आई है, यह इसकी सबसे बड़ी खूबी है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए मनीषा आर्य सोनी ने कहा कि अनुवादक के रूप में छाबड़ा ने अपनी विशेष पहचान बनाई है। राजस्थानी कविताओं का अंग्रेजी में अनुवाद करना मातृभाषा के प्रति सम्मान है। उन्होंने कहा कि नए अनुवादकों को इससे सीख लेनी चाहिए।
गीतकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि अनुवाद, दो भाषाओं के पाठकों के बीच सेतु का काम करता है। अनुवाद कर्म, एक रचना को वृहद फलक तक पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि दोनों भाषाओं पर गहरी पकड़ एक अनुवादक की सबसे बड़ी विशेषता होती है।
पुस्तकों पर टिप्पणी करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नीरज दइया ने बताया कि एक्रॉस दा बॉर्डर में राजस्थानी के 51 तथा स्काई इज दा लिमिट में 25 कवियों की रचनाओं का अनुवाद किया गया है। उन्होंने छाबड़ा के अब तक के रचना कर्म पर प्रकाश डाला।
इससे पहले छाबड़ा ने कुछ चुनिंदा कविताओं की प्रस्तुति दी। उन्होंने अनुवाद कर्म से जुड़े अनुभव साझा किए।

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