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बीकानेर पुलिस के लिए चुनौती : हर गली-गली में बिक रहा है नशा, सप्लायर नहीं नशे का कारोबार करने वाले तक पहुंचने की जरूरत

संपादक कुशाल सिंह मेड़तिया की विशेष रिपोर्ट
खुलासा न्यूज़ , बीकानेर । बीकानेर में युवा नशे की जद में फंसता जा रहा है। इस का मुख्य कारण आसानी से नशा मिलना हैं। युवाओं को नशे से बचाने और क्राइम कंट्रोल करने के मकसद से बीकानेर पुलिस का ऑपरेशन क्लीन स्वीप जारी है। ऑपरेशन क्लीन स्वीप के जरिए पुलिस ने कई मुकदमें दर्ज कर कई नशे के सौदागरों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा है। लेकिन उसके बाद भी नशे का काम और उपयोग निरंतर चलता जा रहा हैं।

पुलिस के मुताबिक़ युवा नशे में होकर एक से बढ़कर एक क्राइम को अंजाम दे रहे हैं। अपनी नशे की लत को पूरा करने के लिए युवा चोरी , लूट , हत्या की वारदातों को भी अंजाम दे रहे है । नशे के सौदागर बेखौफ शहर के गली , मोहल्लों में अपना जाल फैलाकर युवाओं को मादक पदार्थों की लत लगा रहे है। बढ़ते अपराध पर लगाम कसने के लिए अब पुलिस ने शहर को ड्रग फ्री करने की मुहीम तेज कर दी है।

जल्द पैसा कमाने के लालच में शहर के युवाओं को नशीले पदार्थ बेच रहे है । 23 अक्टूबर साल 2019 से शुरू किए गए ऑपरेशन क्लीन स्वीप से युवाओं को ड्रग तस्करों के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही युवाओं को जागरुक करने और ड्रग एडिक्ट युवाओं को ड्रग्स की लत से बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा हैं। लेकिन नशे की लत में फंसे युवा अब भी बीकानेर पुलिस के लिए चुनौती बने हुए है ।

जेल से बाहर आते ही करते हैं फिर से नशे का कारोबार

मादक पदार्थ सप्लाई में पकड़े गए बदमाश जेल से छूटने के बाद दोबारा यह काम करने लगते हैं। उन्हे इस काम में मेहनत कम और मुनाफा अधिक मिलता हैं। पुलिस के लाख प्रयासों के बाद भी आम और खास को पता है कि नशा कहां मिल सकता हैं। लोगों की पहुंच तक आसानी से नशे के सौदागर पहुंच रहे हैं। ऐसे में बीकानेर पुलिस को सप्लायर नहीं नशे का कारोबार करने वाले तक पहुंचने की जरूरत हैं।

 

डराते हैं यह आंकड़े

सरकारी आंकड़ों की मानें तो देश में करोड़ों लोग किसी न किसी तरह का नशा करते हैं। छह करोड़ लोग शराब, 80 लाख लोग भांग, 20 लाख लोग अफीम, छह लाख लोग नशे की दवाइयों का सेवन करते हैं। अकेले बीकानेर की बात करें तो हर 100 में से 13 व्यक्ति किसी न किसी तरह का नशा कर रहे हैं। इनमें 95 प्रतिशत पुरुष, पांच प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। पिछले 15 सालों में 21 साल की कम उम्र के किशोरों व युवाओं में नशे की प्रवृति दो प्रतिशत से 14 प्रतिशत तक बढ़ गई है।

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