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Caste Census: मोदी सरकार कराएगी जाति जनगणना, अब घर-घर जाकर जाती पूछेंगी सरकार

Caste Census: मोदी सरकार कराएगी जाति जनगणना, अब घर-घर जाकर जाती पूछेंगी सरकार

खुलासा न्यूज़। पहलगाम हमले को लेकर जनता में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्से के बीच मोदी सरकार ने जातीय जनगणना की घोषणा करके फिर चौंका दिया। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति ने आगामी जनगणना के साथजाति की गिनती कराने का फैसला किया है। विपक्ष और खासतौर पर कांग्रेस की जातीय जनगणना कराने की बढ़ती मांग तथा बिहार चुनाव से पहले इस फैसले को सरकार की बड़ी सियासी सर्जिकल स्ट्राइक माना जा रहा है।

कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, जनगणना केंद्र के अधिकार क्षेत्र में है, लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वे के नाम पर ‘गैर-पारदर्शी तरीके से जाति जनगणना की, जिससे समाज में संदेह पैदा हुआ। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के दल जाति जनगणना को सियासी हथकंडे के तौर पर इस्तेमाल करते रहे हैं। राजनीतिक कारणों से सामाजिक ताना-बाना न बिगड़े, इसलिए जनगणना में जाति की गिनती कराना उचित रहेगा। हालांकि गणना कब शुरू होगी, इसकी कोई तारीख नहीं बताई गई है।

वो सबकुछ जो आप के लिए जानना जरुरी है :-

जनगणना में जाति बताना अनिवार्य होगा

पहली जाति जनगणना कब हुई, फिर कब बंद हुई ? अंग्रेजी राज में 1881 से 1931 तक जनगणना में जाति की जानकारी ली गई। जातिगत विभाजन की आशंका और जाति-प्रथा स्थायी बनने के डर से 1951 से जाति के आंकड़े लेना बंद कर दिया गया। इसके बाद केवल एससी और एसटी की जातिगत जानकारी दर्ज और प्रकाशित होती है। इसके साथ धर्म, भाषा और सामाजिक-आर्थिक स्थिति की जानकारी शामिल होती है।

2011 की सामाजिक-आर्थिक, जाति जनगणना ?

यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में राजद सपा की मांग पर 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सामाजिक-आर्थिक सर्वे किया। • 25 करोड़ शहरी व ग्रामीण परिवारों का सर्वे हुआ। 2012 के अंत तक डेटा मिला, पर 2013 तक प्रोसेसिंग पूरी नहीं हो पाई। 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए सरकार बनी। ग्रामीण भारत का डेटा जारी हुआ, पर जाति का नहीं ।
• मार्च 2018 में सरकार ने कहा, डेटा प्रोसेसिंग में ‘कुछ गलतियां’ दिखी हैं। अगस्त में कहा- डेटा संग्रहण में समस्या थीं।
• 2021 में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा कि आंकड़ों में ‘तकनीकी खामी है। इसमें 46 लाख जातियां हैं- जो विश्वसनीय नहीं। इसलिए, डेटा सार्वजनिक नहीं होगा । क्या राज्यों में जाति जनगणना हुई है ?
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कर्नाटक में कांग्रेस ने 2015 में जाति सर्वे किया। रिपोर्ट नहीं आई। • बिहार में महागठबंधन सरकार ने 2 जून 22 को जातिगत सर्वे को मंजूरी दी। दो चरण में सर्वे हुआ। अक्टूबर 2023 में रिपोर्ट जारी । • तेलंगाना में 2023 के विस चुनाव के वक्त कांग्रेस ने जातिगत
सर्वे का वादा किया। नवंबर 2024 में इसकी शुरुआत हुई। फरवरी 2025 में सर्वे की रिपोर्ट जारी |

पिछली जनगणनाओं से इस बार क्या अलग होगा ?

• 2011 की सामाजिक, आर्थिक जाति जनगणना किसी एक्ट के तहत नहीं हुई थी। इसमें हिस्सा लेना स्वैच्छिक था। इस बार इसे संसदीय एक्ट के दायरे में कराया जा सकता है।

जनगणना समय जाति बताना अनिवार्य होगा।

जातीय सवाल पूछने के लिए जनगणनाकर्मी दक्ष नहीं थे। नई गणना में उनकी ट्रेनिंग नए सिरे से की जा सकती है। जनगणनाकर्मियों के पास पहले से तय जातियों की सूची नहीं थी । व्यक्ति अपने विवेक से जाति का नाम लिखा सकता था ।
• केंद्र सरकार इस बार एससी एसटी, ओबीसी जातियों की सूची तैयार कराएगी और उनकी पुष्टि की व्यवस्था भी निर्धारित होगी।

जातिगत जनगणना से कोई फायदा ?

देश में अलग-अलग समय हुई जाति जनगणना में ओबीसी वर्ग को शामिल नहीं किया गया था। इस बार के नतीजों पर सबकी नजर इस बात पर रहेगी कि ओबीसी कितने प्रतिशत हैं। यही नहीं, पिछड़ा- अति पिछड़ा वर्ग की शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को लेकर भी स्पष्टता आएगी।

कब तक आंकड़े आ सकते हैं?

देश में 2021 में जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड-19 के चलते इसे टाल दिया गया था। इस प्रक्रिया में एक से डेढ़ साल लगेंगे। ऐसे में जनगणना के अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में मिल सकते हैं।

फैसला अभी क्यों: दुनिया को संदेश देश घरेलू मुद्दों पर फोकस कर रहा

पहलगाम हमले के बाद जब लोग देश के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं, ठीक इसी बीच यह फैसला सोची समझी रणनीति है। इससे पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन की मांग के समानांतर नई चर्चा छेड़कर सेना और सरकार को दबाव से उबारना है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी संदेश देने की कोशिश है कि भारत अन्य घरेलू मुद्दों पर भी फोकस कर रहा है।

शुरुआत कब, क्या पूछेंगे:

अक्टूबर से प्रक्रिया, 31 में से 10वां सवाल होगा जनगणना शुरू करने की आरंभिक शर्त विभिन्न जिलों, प्रखंडों और ग्राम पंचायतों की सीमा फ्रीज करना है। इस पर 30 जून तक रोक है। इसके 3 महीने बाद जनगणना शुरू हो सकती है। जनगणना में 31 सवाल पूछे जाने थे। दसवें नंबर पर एससी, एसटी या अन्य जाति था । अब इसमें जाति पूछी जाएगी। यह भी पूछेंगे कि क्या मुखिया की जाति ओबीसी के दायरे में है?

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