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मंत्रिमंडल विस्तार की कवायद: अब कोई उप मुख्यमंत्री नहीं, सब सिर्फ मंत्री!

जयपुर। राज्य में अब उप मुख्यमंत्री का पद रखा जाएगा या नहीं, इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। अधिकार और शक्तियों की दृष्टि से उप मुख्यमंत्री और केबिनेट मंत्री में ज्यादा अंतर नहीं है। ऐसे में अब किसी को उप मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाए, इस पर विचार चल रहा है। बदले सियासी समीकरण में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जुड़े विधायक भी इसी पक्ष में हैं। हालांकि राष्ट्रीय नेतृत्व के स्तर पर सभी विकल्पों को खुला रखा गया है। कांग्रेस में अंदरूनी कलह टलने के बाद सत्ता और संगठन में पदों के बंटवारे में तीन सदस्यीय समिति का भी दखल रहेगा। सचिन पायलट खेमा प्रस्तावित मंत्रिमंडल में उप मुख्यमंत्री पद की आस रखता है। पार्टी अब राज्य में सत्ता के दो केन्द्र बनाने से बचना चाहती है। हालांकि राज्य में उप मुख्यमंत्री बनाने की परम्परा पुरानी है। इससे पहले भी जातीय एवं सत्ता संतुलन बनाने के लिए उप मुख्यमंत्री बनाए जा चुके हैं। विकल्प कोई डिप्टी सीएम नहीं: उप मुख्यमंत्री कोई अनिवार्य पद नहीं है। ऐसे में किसी को डिप्टी सीएम नहीं बनाया जाए। बल्कि चयनित विधायकों को मंत्रिमंडल में केबिनेट और राज्यमंत्री की विभागवार जिम्मेदारी देकर सरकार चलाई जाए। दोनों गुटों से दो डिप्टी सीएम: राज्य में अशोक गहलोत के पहले शासन में दो उप मुख्यमंत्री बनाए जा चुके हैं। ऐसे में एक डिप्टी सीएम गहलोत खेमे के वरिष्ठ विधायक और दूसरा पायलट खेमे से बनाने का भी विकल्प खुला है। पायलट गुट से डिप्टी सीएम: सचिन पायलट के नाराजगी के बाद पार्टी ने उन्हें उप मुख्यमंत्री पद से हटा दिया है। अब उनके पुन: पार्टी में सक्रिय होने के बाद उनके गुट से किसी वरिष्ठ विधायक को यह पद दिया जा सकता है। इस पर भी विचार चल रहा है।

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