
सब्जी खरीदो या फल-फूल, ‘नकद नारायण को सब रहे भूल






खुलासा न्यूज,बीकानेर। अब डिजिटल ट्रांजेक्शन यानी ऑनलाइन लेन-देन हमारे जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है। दूध, सब्जी, किराणा से लेकर छोटी से छोटी वस्तुओं की खरीद में ऑनलाइन भुगतान आम बात हो गई है। हाथ लॉरी पर सब्जी की दुकान हो या दूध या फल विक्रेता, अब सभी ऑनलाइन लेन-देन को तरजीह दे रहे हैं। व्यापार और आपसी लेनदेन का यह ट्रेंड ग्राहकों को भी खूब भा रहा है। विभिन्न माध्यमों से प्रतिदिन बड़ी तादाद में ऑनलाइन नकदी का आदान-प्रदान किया जा रहा है। यह सुविधा ग्राहकों को जहां बैंकों की भीड़ से निजात दिला रही है,वहीं दुकानदारों को भी नकदी संभालने जैसे कई झंझटों से छुटकारा मिला है। ऐसे में अब ऑनलाइन लेनदेन हर किसी को रास आ रहा है।
बैंक भी कर रहे जागरूक
जिला प्रशासन के साथ-साथ बैंक भी अब ग्राहकों को ऑनलाइन लेनदेन के लिए जागरूक कर रहे हैं। सरकार की विभिन्न योजनाओं का पैसा पात्र व्यक्तियों के खाते में सीधा पहुंच रहा है। बैंक ग्राहकों को एटीएम, इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल से लेन-देन के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। ऑनलाइन लेन-देन का चलन बढऩे का नतीजा भी सामने दिख रहा है। नकदी के लिए बैंकों में भीड़ कम होने लगी है। एटीएम से नकदी लेने वालों की संख्या धीरे-धीरे सिमट रही है। मोबाइल से नेट बैंकिंग और एप्प के माध्यम से भुगतान करना ज्यादा सुलभ हो गया है।
ऑनलाइन भुगतान से ग्राहक भी संतुष्ट
जस्सूसर गेट बाहर एक ठेले पर फल बेचते हैं भंवरलाल। डिजिटल क्रांति का बड़ा उदाहरण है सब्जी की दुकान। यहां न कटे-फटे नोट की शिकायत मिलेगी और न ही खुले पैसों का झंझट। ऑनलाइन भुगतान कीजिए और सब्जी ले जाइए। ग्राहकों के लिए ऑनलाइन की यह सुविधा कई मुश्किलों को आसान बना रही है। भंवरलाल कहते हैं कि ऑनलाइन लेन-देन का चलन तेजी बढ़ रहा है। ग्राहक भी इससे संतुष्ट है।
कैशलेस व्यापार का बढ़ा चलन
बी के स्कूल के सामने फूल माला विक्रेता मो रफीक के यहां से कोई भी फूल माला खरीदो,कैश साथ ले जाने की जरूरत नहीं। यहां ऑनलाइन लेन-देन की सुविधा मिल जाएगी। ग्राहक भी खरीदारी के बाद ऑनलाइन भुगतान करना पसंद करते हैं।
कैशलेस के फायदे
बैंकों की भीड़ से निजात
– समय की बचत। 24 घंटे लेन-देन की सुविधा उपलब्ध।
– नकदी खोने का भय नहीं। न चोरी-लूट का खतरा।
– नोट कटने-फटने का भी झंझट नहीं।
– लेन-देन का रिकॉर्ड हमेशा सुरक्षित।
– नकद हर समय साथ रखना भी जरूरी नहीं।


