बजट: 16 लाख नौकरियां, डिजिटल यूनिवर्सिटी व टीवी चैनल्स से पढ़ेंगे बच्चे, देखें रोजगार से जुड़ी घोषणाएं - Khulasa Online बजट: 16 लाख नौकरियां, डिजिटल यूनिवर्सिटी व टीवी चैनल्स से पढ़ेंगे बच्चे, देखें रोजगार से जुड़ी घोषणाएं - Khulasa Online

बजट: 16 लाख नौकरियां, डिजिटल यूनिवर्सिटी व टीवी चैनल्स से पढ़ेंगे बच्चे, देखें रोजगार से जुड़ी घोषणाएं

कोरोना महामारी की वजह से बच्चों की पढ़ाई तक छूट गई। न्छम्ैब्व् की रिपोर्ट के मुताबिक इससे सबसे ज्यादा प्रभावित कक्षा 9 से 12 तक के स्टूडेंट्स हुए। भारत में इस एजग्रुप में 13 करोड़ से अधिक स्टूडेंट्स आते हैंए जो अपना भविष्य तय करने की राह पर हैं और जिन्हें बेहतरीन शिक्षा के साथ रोजगार के पूरे अवसर भी चाहिए।

इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बजट 2022.2023 में ऐलान किया गया कि प्रधानमंत्री ई.विद्या योजना के तहत एक चैनल एक क्लास योजना शुरू की जाएगी। इसके तहत 200 ई.विद्या टीवी चैनल खोले जाएंगे। इस योजना का लाभ उठाकर कक्षा पहली से लेकर 12वीं तक के बच्चे ऑनलाइन पढ़ सकते हैं। इसके साथ ही बच्चों को क्षेत्रीय भाषा में भी शिक्षा सुविधा मुहैया कराई जाएगी।

डिजिटल यूनिवर्सिटी में कई भाषा में पढ़ाई होगी
कोविड की वजह से प्रभावित शिक्षा को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। एक डिजिटल यूनिवर्सिटी खोली जाएगीए जिसमें कई भाषाओं में पढ़ाई होगी। देश की टॉप यूनिवर्सिटी को भी इस प्रोग्राम से जोड़कर शिक्षा के स्तर को बढ़ाया जाएगा।

आंगनवाड़ी मॉडर्न बनेगी
देशभर में करीब 2 लाख आंगनवाड़ियों को मॉडर्न बनाया जाएगा। यानी पुरानी आंगनवाड़ी को अपग्रेड किया जाएगा।

इस बार बजट में रोजगार की ये हुई बात

16 लाख नौकरियां दी जाएंगी आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत।
60 लाख नौकरियां मेक इन इंडिया के तहत।
कौशल विकास कार्यक्रमों को नई सिरे से शुरू किया जाएगाए ताकि रोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकें।
नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन प्रोग्राम उद्योगों की जरूरत के अनुसार बनाया जाएगा।
राज्यों में संचालित औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्रों को भी जरूरत के अनुसार अपग्रेड किया जाएगा

बेरोजगार कम होने का सच
सरकार दावा कर रही हैं कि बेरोजगारी की दर पहले से कम हुई है। जबकि हकीकत कुछ और है। इसे समझने के लिए पहले ये समझें कि बेरोजगार कहते किसे हैं। बेरोजगार वे लोग कहलाते हैंए जो नौकरी मांगने के लिए बाजार में यानी बाहर निकलते हैंए लेकिन नौकरी नहीं मिलती है। अंग्रेजी में इसे लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन यानी ;स्थ्च्द्ध कहते हैं। मतलब यह कि अगर आप काम करने के योग्य हैंए लेकिन नौकरी मांगने नहीं जाते हैं तो आपकी गिनती बेरोजगारों में नहीं होगी। सच यह कि नौकरी मांगने वालों की संख्या कम होने की वजह से बेरोजगारी दर कम नजर आ रही है।

अब सवाल यह कि नौकरी करने के योग्य होने के बावजूद लोग नौकरियां मांग क्यों नहीं रहे हैंघ् इसका जवाब यह है कि स्टूडेंट और नौजवान हताश हैं। वे उम्मीद खो चुके हैं कि मांगने पर न तो बेहतर शिक्षा मिल रही है और न ही कहीं नौकरी मिलेगी।

लगातार बढ़ रही ग्रेजुएट्स की संख्या

वर्ष 2000 में भारत में 86 लाख छात्रों ने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी।
वर्ष 2016 में ग्रेजुएट होने वाले छात्रों की संख्या 3 करोड़ 46 लाख पहुंच गई थी।
4 करोड़ स्टूडेंट ग्रेजुएट होकर हर साल नौकरी की तैयारी में लगते हैं।
12वीं कक्षा पास करने वाले छात्रों पर एक नजर

2000 में 99 लाख छात्र 12वीं कक्षा में पास हुए थे।
2016 में 12वीं कक्षा पास करने वाले छात्रों की संख्या लगभग ढाई करोड़ थी।
3 करोड़ बच्चे 12वीं पास करके हर वर्ष नौकरी या उच्च शिक्षा में जाते हैं।

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