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बीटीयू ने बनाया सस्ता ऑक्सीजन कंसटे्रटर, पर ईसीबी कार्मिकों को कब मिलेगी वेतन रूपी ऑक्सीजन

 

खुलासा न्यूज,बीकानेर। कोरोना वायरस की वजह से आज पूरा विश्व बहुत बड़ी चिकित्सकीय चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने यहां के लोगों के सामने प्राण वायु ऑक्सीजन की भारी कमी तथा अत्यधिक मांग के कारण एक बहुत बड़ी समस्या खड़ी कर दी है, इस समस्या के समाधान हेतु बीकानेर तकनीकी विश्विद्यालय अपने नवाचारों के साथ राहत भरी खबर लेकर आया हैं। सहायक जन सम्पर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया की बीकानेर तकनीकी विश्विद्यालय से सम्बद्ध राज इंजीनियरिंग कॉलेज जोधपुर की टीम ने बहुत ही कम कीमत में सस्ता होममेड ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का प्रोटोटाईप बनाने का कारनामा कर दिखाया है। यह कंसंट्रेटर बाजार में उपलब्ध नामी कंपनियों के कंसंट्रेटरों के मुकाबले दो गुना से अधिक ऑक्सीजन उपलब्ध करवा सकता है। यह प्रति मिनट 12 से 14 लीटर ऑक्सीजन का उत्पादन करता है। इससे दो मरीजों को एक साथ जोड़ा जा सकता है। आज के हालात में जहां कोरोना महामारी के मरीजों को समय पर प्राण वायु ऑक्सीजन की सबसे ज्यादा जरूरत है तथा उसके विपरीत उपलब्धता सबसे कम है, ऐसे समय में यह नवाचार कोरोना मरीजों के लिए वरदान साबित होगा। बाजार में आसानी से उपलब्ध होने वाले वाटर प्यूरीफायर उपकरण एवं महज 10000 से 12000 रुपयों की लागत से निर्मित यह ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मौत की जंग लड़ रहे कोरोना रोगियों के लिए संजीवनी का कार्य करेगा। राज ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटीयूशन के चेयरमैन डॉ राजूराम चौधरी के निर्देशन में रजिस्ट्रार पंकज सांखला, महेंद्र सांखला व हर्षवर्धन शर्मा की टीम ने मिलकर पूरे 8 दिन के कड़े प्रयासों द्वारा जुगाड़ से इस होममेड ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को तैयार किया है। यह मशीन 10-12 लीटर प्रति मिनट तक के वेग से ऑक्सीजन बना सकती है साथ ही यह बाजार में विभीन्न कम्पनियों के कंसंट्रेटर की तुलना में आसानी से ऑपरेट किया जा सकता हैं। जल्द से जल्द उनकी टीम द्वारा मशीन के डिजाइन में फेरबदल कर एक मशीन का नया प्रारूप तैयार किया जा रहा है जिसमें कम से कम 2 मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई जा सकेगी, इससे मौजूदा कीमत को प्रति व्यक्ति और कम किया जा सकेगा।
ढाई महीने से वेतन को तरसते ईसीबी कार्मिक
एक ओर तो बीटीयू आमजन को सस्ता ऑक्सीजन उपकरण उपलब्ध करवाने के नये कारनामे कर रहा है। वहीं दूसरी ओर अपने ही संघटक कॉलेज के कार्मिकों के हालातों की ओर ध्यान नहीं दे रहा। जो पिछले ढाई महीनों से अपने वेतन को तरस रहे है। कोरोना की इस महामारी में जहां भामाशाह आम नागरिक की हर संभव मदद को आमदा है। तो बीटीयू अपने संघटक कॉलेजों के हालातों की ओर भी गौर नहीं कर रहा है। यह पहला मौका नहीं है कि ईसीबी कार्मिकों पर वेतन का कोई संकट आया है। पिछले कोरोना काल से लेकर अब तक कई बार यहां के कार्मिक अपने वेतन के लिये लंबा संघर्ष करते आएं है। जिसके बाद राज्य सरकार ने ईसीबी कॉलेज को बीटीयू का संघटक कॉलेज घोषित कर दिया। उसके बाद भी हालात जस के तस बने हुए है। ईसीबी के अशैक्षणिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संतोष पुरोहित ने बताया कि एक ओर तो कोरोना काल के चलते वैसे ही आर्थिक हालात विकट है। वहीं दूसरी ओर कार्मिकों को वेतन के लाले पड़े है। ऐसे में कार्मिकों के परिवार का गुजारा भी दुभर हो रहा है। बार बार सरकार से वेतन के लिये गुहार लगानी पड़ती है। सरकार को चाहिए कि ईसीबी कार्मिकों के वेतन के लिये कोई ठोस नीति बनाएं ताकि यहां काम करने वाले कार्मिकों को वेतन के लिये तरसना न पड़े।

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