
खाते से उड़ाए रूपये,अब बैंक चुकाएगा यह रकम






श्रीगंगानगर। बैंक खाते से बिना एटीएम कार्ड इस्तेमाल किए साठ हजार रुपए निकलने और राशि ट्रांजिट होने पर अब बैंक जिम्मेदार होगा। जिला स्थायी लोक अदालत ने बैंक उपभोक्ता के पक्ष में महत्वपूर्ण निर्णय किया है।
सादुलशहर के एक ग्राहक के खाते का किसी ने हैंग कर लिया और उसके खाते से साठ हजार रुपए एटीएम कार्ड इस्तेमाल किए बिना निकलवाए लिए। इस संबंध में ग्राहक ने एफआईआर भी कराई लेकिन निकलवाई गइ्र्र राशि को वापस लेने के लिए उसने कोर्ट की शरण ली।
जिला स्थायी लोक अदालत ने रिजर्व बैंक ऑफ इडिया की ओर से ग्राहकों को सुरक्षा देने के नियम कायदों को आधार मानकर इस घटना में लापरवाही के लिए बैंक को जिम्मेदार माना और निकली गई राशि साठ हजार रुपए बैंक को ब्याज सहित जमा कराने के आदेश किए है।
इस प्रकरण के तथ्यों के अनुसार अदालत में सादुलशहर वार्ड 6 निवासी त्रिपतराम पुत्र अनंत जाट ने भारतीय स्टेट बैंक आफ इंडिया शाखा नई धानमंडी सादुलशहर के शाखा प्रबंधक के खिलाफ परिवाद दायर किया। इसमें बताया कि उसने इस बैंक में बचत खाता खुलवाया था।
तब बैँक ने आश्वासन दिया कि बचत में जो भी राशि आप द्वारा जमा कराई जाएगी जिसकी सुरक्षा की पूर्णतया बैँक की जिम्मेदारी है। यह खाता परिवादी की ओर से संचालन किया जाता है। खाता का लेनदेन के लिए एटीएम भी जारी किया गया। 22 मई 2019 को उसके मोबाइल फोन पर तीन एसएमएस आए कि परिवादी ने यह बचत खाते में एटीएम से बीस बीस हजार तीन बार कुल साठ हजार रुपए निकाली गई है।
यह मैसेज देखकर उसे हैरानी हुई कि उसके बैँक खाते न केवल राशि निकलवाई अैर ट्रांसफर की गई जबकि वह तो अपने गांव था। यह राशि ट्रांजिट अबोहर के किसी एटीएम से हुई है।
इस संबंध में उसने 23 मई 2019 को बैँक में शिकायत लिखकर दी। इसमें ट्रांजिट हुई राशि को वापस उसके खाते में जमा करने का निवेदन किया। 15 जून 2019 को सादुलशहर पुलिस ने उसकी शिकायत पर एफआईआर भी दर्ज की। लेकिन जांच के नाम पर उसे चक्कर कटवाते रहे।
इधर, उसके खाते से बिना सूचना के साठ हजार रुपए को निकलवाना बैंक प्रशासन का कृत्य सेवा में कमी अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आता है। ऐसे में उसकी राशि को वापस जमा कराने और मानसिक व वाद व्यय का हर्जाना मांगा। इस पर अदालत ने बैँक को जिम्मेदार मानकर उसे साठ हजार रुपए की रकम ब्याज सहित वापस लौटाने के आदेश किए है।
इससे पहले बैंक प्रशासन ने अपना जवाब कोर्ट में पेश किया। बैँक का कहना था कि एटीएम सुविधा प्राप्त की गई उसका संचालन अपनी स्वेच्छा से ही परिवादी करता रहा। परिवाद के यदि किसी एटीएम कार्ड नम्बर अपनी स्वेच्छा से किसी को दिया गया तथा राशि निकलवाई अथवा ट्रांसफर की गई तो इसकी जिम्मेदारी केवल परिवादी स्वयं की बनती है।
एटीएम द्वारा जो राशि निकलवाई व ट्रांसफर की जाती हे, उसका रिकार्ड बैँक में ही ग्राहक को उसकी सूचना भेज दी जाती है। बैंक का कहना था कि इस ट्रांजिट में बैंक की कोई भूमिका नहीं है। यहां तक कि एफआईआर में भी बैँक का जिम्मेदार नहीं माना है।
इसलिए जिला स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष नरेश चुघ और सदस्य जेपी गौतम का कहना था कि एफआईआर पर हुए अनुसंधान में अभी तक परिवादी की कोई संलिप्तता अथवा लापरवाही से यह घटना घटित होना प्रकट नहीं हुआ है।
इन परिस्थितियों में बैँक को अनाधिकृत रूप से इलैक्ट्रोनिक बैँक ट्रांजेक्शन के जरिए परिवादी के बैंक खते से एटीएम से उसके एटीएम कार्ड के बिना निकाली गई साठ हजार रुपए की राशि रिजर्व बैँक ऑफ इंडिया के ग्राहकों की सुरक्षा के संबंध में दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसरण में बैँक के नियत अवधि में निकले गए रुपए वापस लौटाने की जिम्मेदारी बनती है।
<श्च>यदि एफआईआर के अनुसंधान में परिवादी की लापरवाही सामने आती है तो बैँक यह राशि वापस पाने का अधिकारी होगा।


