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अरावली मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने : राजेन्द्र राठौड़ बोले – गहलोत अरावली पर भ्रम फैला रहे हैं, गहलोत ने कहा- बीजेपी ने रिपोर्ट देकर 100 मीटर के फॉर्मूले को सही ठहराया

अरावली मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने : राजेन्द्र राठौड़ बोले – गहलोत अरावली पर भ्रम फैला रहे हैं, गहलोत ने कहा- बीजेपी ने रिपोर्ट देकर 100 मीटर के फॉर्मूले को सही ठहराया

जयपुर। अरावली हिल्स की परिभाषा को लेकर जारी विवाद में अब बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने हो गई है। रविवार को भाजपा नेता राजेन्द्र राठौड़ ने प्रदेश बीजेपी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राठौड़ ने कहा- पूर्व सीएम अशोक गहलोत अरावली को लेकर भ्रम फैला रहे हैं। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ही साल 2003 में अरावली की 100 मीटर की परिभाषा की सिफारिश की थी।

इस पर पलटवार करते हुए गहलोत ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट 14 साल पहले 2010 में ही इस परिभाषा को खारिज कर चुका है तो उसी परिभाषा का 2024 में राजस्थान की बीजेपी सरकार ने समर्थन करते हुए केन्द्र सरकार की समिति से सिफारिश क्यों की?

राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि अशोक गहलोत के साथ उनकी पार्टी भी नहीं है। गहलोत ने 18 दिसंबर को सोशल मीडिया पर ‘Save Aravalli’ के नाम पर अभियान शुरू करके अपनी प्रोफाइल पिक्चर बदली थी, लेकिन न तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, ना राहुल गांधी, ना मल्लिकार्जुन खड़गे और न ही सचिन पायलट ने अपनी प्रोफाइल पिक्चर बदली। यह दर्शाता है कि जिस अभियान का दावा किया जा रहा है, उसमें स्वयं उनकी पार्टी का समर्थन भी उनके साथ नहीं है। इससे स्पष्ट है कि यह अभियान पर्यावरण संरक्षण नहीं, बल्कि राजनीतिक दिखावा है।

अशोक गहलोत ने कहा- यह सच है कि 2003 में तत्कालीन राज्य सरकार को विशेषज्ञ समिति (एक्सपर्ट कमेटी) ने आजीविका और रोजगार के दृष्टिकोण से 100 मीटर की परिभाषा की सिफारिश की थी, जिसे राज्य सरकार ने एफिडेविट के माध्यम से 16 फरवरी 2010 को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे महज तीन दिन बाद 19 फरवरी 2010 को ही खारिज कर दिया था। हमारी सरकार ने न्यायपालिका के आदेश का पूर्ण सम्मान करते हुए इसे स्वीकार किया और फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) से मैपिंग करवाई।

गहलोत ने कहा- सवाल यह है कि जो परिभाषा सुप्रीम कोर्ट में 14 साल पहले 2010 में ही खारिज हो चुकी थी। उसी परिभाषा का 2024 में राजस्थान की मौजूदा भाजपा सरकार ने समर्थन करते हुए केन्द्र सरकार की समिति से सिफारिश क्यों की? क्या यह किसी का दबाव था या इसके पीछे कोई बड़ा खेल है?

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