
बीकानेर में बाइक चोरों का जमावड़ा, पुलिस दर्ज नहीं करती बाइक चोरी के मामले, सावधान- चोरों के राडार पर हैं ये इलाके





– संपादक कुशाल सिंह मेड़तिया की विशेष रिपोर्ट
खुलासा न्यूज़ , बीकानेर । बीकानेर में बाइक चोरों के खिलाफ पुलिस की पकड़ ढीली हो गई है। बाइक चोरों की सक्रियता लगातार बढ़ रही है। खास कर शहरी क्षेत्र में हर दिन बाइक चोरी की घटनाएं सामने आ रही हैं। आंकड़े बताते हैं कि हर दिन दो तीन बाइक चोरी हो रही है। हर दिन बाइक चोरी की घटनाएं सामने आने के बावजूद पुलिस बाइक चोर के खिलाफ अपेक्षित कार्रवाई नहीं कर रही है।
हालात यह है की ज़िले में बाइक चोरों का जमावड़ा है। हर रोज किसी न किसी थाने से एक-दो बाइक चोरी हो रही है। औसतन हर महीने पचास से ज्यादा बाइक चोरी के मामले तक दर्ज हो रहे हैं, जबकि बड़ी संख्या में बाइक चोरी के मामले पुलिस दर्ज भी नहीं करती।
बीकानेर में पिछले लंबे समय से बाइक चोरों ने पुलिस की नाक में दम कर रखा है। सबसे ज्यादा बाइक नयाशहर थाना एरिया से ही चोरी हुई है ।
नयाशहर व सदर में सर्वाधिक चोरी
नयाशहर व सदर थाने के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में मोटर साइकिल चोरी हुई है। इसमें जवाहर नगर सहित मुरलीधर व्यास नगर, कोठारी अस्पताल, जस्सूसर गेट, नत्थूसर गेट व परकोटे के भीतर से मोटर साइकिल चोरी हुई है। वहीं पी॰बी॰एम॰ से भी चोरी हुई है ।
मौका मिलते ही वे चुरा ले जाते हैं
बाइक चोर सक्रिय हैं और लगातार वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। चोरों की नजर बाजारों में खड़ी बाइक पर रहती है और मौका मिलते ही वे चुरा ले जाते हैं। केईएम रोड, गणपति प्लाजा, रानीबाजार, स्टेशन रोड, गंगाशहर रोड, तोलियासर भैरूंजी की गली, बी. सेठिया गली आदि क्षेत्रों में चोर सक्रिय हैं। इन स्थानों से बाइक चोरी हुई हैं।
मामले की गंभीरता को समझते हुए खुलासा ने पड़ताल की तो सामने आया कि शहर में सदर पुलिस सर्किल के 6 थाना क्षेत्रों में बाइक चोरी के मुकदमे ज्यादा होते हैं। इनमें भी 80 प्रतिशत मामले पीबीएम अस्पताल, कचहरी परिसर और म्यूजियम ग्राउंड के आसपास के क्षेत्रों के होते हैं।
चोरों का नेटवर्क, सिर्फ 7 हजार में बेच देते हैं 70 हजार की बाइक
चोरी की बाइक बेचने के नेटवर्क पर ‘खुलासा’ ने पड़ताल की तो सामने आया कि शातिर नकबजन 70 हजार की बाइक सात हजार रुपए में बेच देते हैं। बाइक बेचने के लिए भी वे ग्रामीण इलाके चुनते हैं, जिससे इनको खतरा कम लगता है। नकबजनों का नेटवर्क होता है।
जेल में रहने के दौरान वे अपराधियों से जान-पहचान कर लेते हैं। बाइक चुराने के बाद ग्रामीण इलाकों में रहने वाले जानकारों से बाइक बेचने के लिए संपर्क करते हैं और उनके जरिये पांच-सात हजार रुपए में बाइक बेच देते हैं। गाड़ी की आरसी मांगने पर बाद में देने का बहाना कर टाल देते हैं।
गांवों के लोग इतने कम दाम में बाइक मिलने पर आसानी से खरीदकर बेखौफ इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में पुलिस भी अमूमन आरसी व अन्य कागजात चैक नहीं करती।


