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हो रही बंबबारी, उठती लपटों में फँसे है बीकानेर के स्टूडेंट्स, बंकरों में न रोशनी न खाना पीना

 

खुलासा न्यूज़, बीकानेर । यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध में वहां रह रहे भारतीय स्टूडेंट्स के हाल-बेहाल हैं। कुछ स्टूडेंट्स अभी घरों में हैं जबकि कुछ हॉस्टलों और घरों से निकलकर पोलैंड जाने के लिए यूक्रेन के बॉर्डर एरिया में पहुंच गए हैं जबकि वहां भी हालात बेहद खराब हैं। कुछ ने बंकरों में शरण ली है लेकिन वहां उन्हें खाना नहीं मिल पा रहा। एटीएम में करेंसी खत्म हो चुकी है। ऐसे में भारत में रह रहे इन स्टूडेंट्स के पेरेंट्स को उनकी चिंता हो रही है।

अनूपगढ़ की छात्रा रिजुल शर्मा यूक्रेन में एमबीबीएस कर रही है। उसके पिता अजय शर्मा ने बताया कि उनकी बेटी पहले अपने फ्लैट में थी लेकिन अब अन्य स्टूडेंट्स के साथ उसने यूनिवर्सिटी मेंशरण ले ली है। खास बात यह है कि यूनिवर्सिटी में अंडर ग्राउंड बना है। ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि ये लोग यहां पहुंचे हैं ताकि जरूरत पड़ने पर सभी स्टूडेंट्स को अंडर ग्राउंड में भेजा जा सके।

 

 

(आबिद अली, यूक्रेन) घर की कमजोर आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए विदेशों में मजदुरी कर पैसे कमाने के सपने ने मुझे युक्रेन पहुंचा दिया। मै यहां करीब दो माह पहले आया था एवं एक ट्रांसपोर्ट कम्पनी में टैक्सी ड्राईवर का कार्य करने लगा था। इसी दौरान युद्ध शुरू हो गया है एवं दुर्भाग्य से मैं रूसी सेना के कब्जे वाले पालेटावा शहर में ही था। भारतीय एम्बेंसी द्वारा पोलेंड पहुंचने की अपील के बाद मै शुक्रवार शाम चार बजे पोलटावा शहर से निकला व रात 10 बजे ट्रेन से युक्रेन की राजधानी कीव पहुंचा। लेकिन यहां पर युद्ध का भीषण मंजर सामने आया और कीव पहुंचने पर आंखों के सामने ही 10.30 बजे एक जोरदार धमाका हुआ। यहां चिंगारियां मुझे नजर आ रही थी। यह धमाका रशियन आर्मी द्वारा कीव शहर के मेट्रो स्टेशन पर बम गिराने का था। ऐसे में मैं और मेरे साथ कि सभी भारतीय वहां से जल्दी से जल्दी निकलने के प्रयास में जुट गए। वहां से निकलने के लिए टैक्सी का किराया सामान्य से चार गुना देकर कीव से निकले है। हम चार भारतीयों ने मिल कर एक टैक्सी किराए की व हम पोलैंड के लिए रवाना हो गए। हम शुक्रवार की सारी रात चलते रहें व शनिवार शाम करीब 4 बजे हम पोलैंड बॉर्डर पर पहुंच गए है। रास्ते में पेट्रोल के लिए कई किलोमीटर की लाइने लगी है और पोलैंड बॉर्डर से करीब 35 किलोमीटर तक गाड़ियों की कतारें खड़ी हुई है। मैं बिस्किट, केक, पानी, दूध का दो तीन दिन का स्टॉक लेकर निकला हूँ जिससे मेरा काम चल रहा है। मेरे साथ अमृतसर के कुलवंत सिंह व नवी शर्मा तथा भटिंडा से सुजाता टैक्सी में आए व अब हम सब पोलैंड बोर्डर पार कर रहें है। यहां से भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार हम देश आ सकेंगे। ऐसी सूचनाएं मिल रही है। युद्ध किसी देश का नक्शा एवं जनजीवन किस प्रकार प्रभावित कर सकता है यह प्रत्यक्ष देखा है, युक्रेन की राजधानी कीव शहर की 80 प्रतिशत आबादी शहर छोड़ चुकी है। यहां पढ़ने, काम करने और घुमने आए भारतीय, पाकिस्ताना, बांग्लादेशी, तुर्की के सभी लोग यूक्रेन से पोलैंड पहुंच रहें है। Join Whatsapp लोग यूक्रेन से भाग रहें है और जैसे तैसे पोलैंड के बॉर्डर तक पहुंचने की कोशिशों में लगे है। पोलैंड की सीमाएं खुली हुई है व 15 दिन का वीजा देकर हमें एंट्री दी जा रही है।

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