
बीकानेर के श्याम पैरा ओलिंपिक गेम्स में गोल्ड मेडल पर लगाएंगे निशाना, सीएम गहलोत ने दी बधाई






खुलासा न्यूज, बीकानेर । दौड़कर न सही, लेकिन निशाना लगाकर अब वे जापान के टोक्यो में होने वाले पैरा ओलिंपिक गेम्स में भारत की ओर से गोल्ड मेडल पर निशाना लगाएंगे। श्याम का अब तक का सफर बेहद कठिन और मुश्किलों भरा रहा है। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए न सिर्फ उन्होंने बल्कि पूरे परिवार ने संघर्ष किया है।
अभावों में जीने वाले श्याम सुंदर के लिए यह सपना पूरा होने जैसा अनुभव है। श्याम के पिता यहां गली-गली ठेला ले जाकर सब्जी बेचते हैं। कभी सामान्य तीर कमान से निशाने साधने वाले श्याम सुंदर ने अब भारतीय तीरंदाजी में स्वयं को स्थापित कर लिया है। मंगलवार को जारी भारतीय टीम की सूची में राजस्थान से अकेले श्याम सुंदर को शामिल किया गया है।
श्याम सुंदर एमएम ग्राउंड में अभ्यास करता था। इसके बाद भारतीय टीम के प्रशिक्षक अनिल जोशी के निर्देशन में प्रैक्टिस शुरू की। भारत में होने वाले हर कॉम्पिटिशन में श्याम सुंदर ने सफलता प्राप्त की है। श्याम सुंदर बताते है कि उनका सपना अब पूरा होने वाला है। पदक जीतने के लिए दिनरात मेहनत कर रहा हूं। भारतीय राष्ट्रगान को ओलिंपिक में गूंजता हुआ देखना ही उनके जीवन का लक्ष्य है। उनका निशाना गोल्ड पर ही है।
पिता ने ब्याज पर रुपए लेकर खरीदे उपकरण
स्वामी का जन्म 31 दिसंबर 1996 बीकानेर की कोलायत तहसील के भोलासर गांव में हुआ है। स्वामी बहुत ही गरीब परिवार से है। पिताजी बस स्टैंड पर सब्जी का ठेला लगाते हैं और माताजी गृहिणी हैं। एक भाई भी है, जो बचपन से ही विकलांग है। स्वामी की माली हालत ठीक नहीं होने की वजह से पिताजी ने ब्याज पर पैसे लेकर सब्जी का ठेला लगाया और दिन-रात एक कर सब्जी बेची। इसके बाद कहीं जाकर श्याम सुंदर के लिए उपकरणों की व्यवस्था हो पाई। घर के पास ग्राउंड होने की वजह से स्वामी वहां तीरंदाजी सीखने जाता था।
लकड़ी के धनुष से की थी शुरूआत
स्वामी के कोच अनिल जोशी बताते हैं कि स्वामी लकड़ी के धनुष से तीरंदाजी किया करता था, लेकिन राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आने के लिए आधुनिक उपकरणों की आवश्यकता होती है। जिसका इंतजाम करना उसके पिताजी के लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं था, लेकिन जैसे-तैसे करके उन्होंने इंतजाम कर दिया। पैरा तीरंदाजी नेशनल चैंपियन में राजस्थान की तरफ से खेलते हुए टूर्नामेंट का चैंपियन रहा। श्याम बताते हैं कि वो भी पहले सब्जी का ठेला चलाते थे लेकिन पिताजी ने बाद में मना कर दिया। उनकी इच्छा है कि वे देश के लिए पदक लेकर आएं। इस पैरा ओलिंपिक में पदक लाने का प्रयास रहेगा।
बचपन से पैर खराब
भारतीय टीम के सदस्य बने श्याम का एक पैर बचपन से खराब है। पैर ना सिर्फ टेढ़ा है, बल्कि कमजोर भी है। इस कमी को उन्होंने स्वयं पर हावी नहीं होने दिया और आज इस मुकाम पर पहुंच गए।


