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बीकानेर के सेठ और खींवसर के व्यापारी ने खेला जुआ

खुलासा न्यूज़ , बीकानेर । नागौर जिले के खींवसर में बने लक्ष्मी नाथ मंदिर की कहानी बड़ी रोचक है। ये मंदिर सट्टे के सौदे में बना। शायद ये इस प्रकार का पहला मंदिर है जहां सट्टे से जीते हुए रुपए से उसका निर्माण हुआ। ग्रामीण लक्ष्मी नारायण जाजू बताते ही कि यह मंदिर करीब 300 वर्ष पूर्व बनवाया गया था और यह मंदिर सट्टे में बना है।

जहां आज भी प्रतिदिन पूजा पाठ और धार्मिक आयोजन होते हैं। लक्ष्मीनाथ मंदिर के बारे में लक्ष्मी नारायण बताते हैं कि करीब 300 वर्ष पूर्व कस्बे में एक हीरानंद जाजू नाम के एक बड़े व्यापारी हुआ करते थे। जिनका नाम दूर-दूर तक बड़े सेठ और व्यापारी के नाम से जाना जाता था। हीरानंद जाजू भगवान लक्ष्मीनाथ को बहुत मानते थे। वह हमेशा भगवान लक्ष्मी नाथ को सेठ मानते थे और खुद को उनका दास ही बताते थे।

एक बार बीकानेर के जाने माने रामपुरिया सेठ खींवसर आए और सेठ हीरानंद जाजू की दुकान पर पहुंचे। उस समय सेठ हीरानंद जाजू अपने लिए एक घर का निर्माण कार्य करवा रहे थे। बीकानेर के रामपुरिया सेठ हीरानंद जाजू के साथ सट्टा लगाने के लिए कहा इस पर जाजू ने हां भरते हुए कहा कि आप ही तय कर लो कि सट्टा कैसे लगाना है।

इस पर रामपुरिया ने कहा कि हम लोग जूता ऊपर फेंकेगे नीचे गिरने से पहले आपको बताना होगा कि जूता नीचे सीधा गिरेगा या उल्टा। इस पर जाजू ने कहा कि आप हमारे गांव में आये हो तो आप महेमान हुए हमारे आप ही जूता ऊपर फेंके और आप ही बताए कि जूता नीचे कैसे गिरेगा। इस पर रामपुरिया ने 2 बार जूता ऊपर फेंका और 2 बार ही उनके बताए अनुसार जूता नहीं गिरा और वह अपना सब कुछ सेठ हीरानंद जाजू के पास हार गए।

इस पर जाजू ने कहा कि आप हमारे महेमान हो और आपको एक मौका और दिया जाता है इस पर रामपुरिया ने कहा कि इस बार जूता में फेंकूंगा और आपको बताना होगा कि जूता उल्टा गिरेगा या सीधा तो जाजू ने मन में ये संकल्प लिया कि हे भगवान अगर आज मैं जीत जाता हूं तो मेरी जीती हुई सारी कमाई से आपका भव्य मंदिर बनाऊंगा।

यह कहकर जाजू ने कहा कि चलो “चित भी आपका पट भी आपका” ये कहने पर रामपुरिया ने जूता फेंका तो जूता जमीन पर खड़ा गिर गया और एक बार फिर से रामपुरिया हार गए। जिसके बाद सेठ जाजू ने उसी जगह पर भगवान लक्ष्मी नाथ का मंदिर बनवा दिया जहां वह अपना घर बना रहे थे। यहां पर ऐसी मान्यता है कि यहां पर लक्ष्मी नाथ मंदिर में लोग अपनी मन्नतें मांगने आते हैं और भगवान उनकी सारी मन्नतें पूरी भी करते हैं।

 

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