बीकानेर : करोड़ों का गबन , सरकारी तंत्र बना मूकदर्शक, युवा नेता का संघर्ष जारी - Khulasa Online बीकानेर : करोड़ों का गबन , सरकारी तंत्र बना मूकदर्शक, युवा नेता का संघर्ष जारी - Khulasa Online

बीकानेर : करोड़ों का गबन , सरकारी तंत्र बना मूकदर्शक, युवा नेता का संघर्ष जारी

– सहारा कम्पनी के खिलाफ लंबे समय से बीकानेर के सोशल एक्टिविस्ट डूंगर सिंह तेहनदेसर लोगो को न्याय एवं उनके भुगतान दिलाने को लेकर संघर्षरत है किन्तु उक्त कम्पनी ने उन पर झूठे मामले दर्ज कर उनको भी नाहक परेशान किया जा रहा है। डूंगर सिंह ने कहा है कि वो सुब्रत रॉय और उनकी टीम से नहीं डरते वे लोगों की लड़ाई जोर शोर से लड़ते रहेंगे।
खुलासा न्यूज़, बीकानेर। उत्तरी भारत के लहजे से अगर बात करें तो हर 17 वा भारतीय सहारा इंडिया कम्पनी का जमाकर्ता है। यह खुद कम्पनी का दावा है। सावधि, मासिक एवं दैनिक के हिसाब से 1978 से सहारा इंडिया कम्पनी जनता से जमाए के रही है और जनता के धन से कम्पनी को अव्वल मुकाम पर भी पहुंचाया खुद की और परिवार की सम्पत्ति बनाई गई, भारत ही नहीं मकदूनिया जैसे देश में भी कम्पनी प्रमुख सुब्रत रॉय सहारा और परिवारजनों की बेशुमार प्रॉपर्टी है। लोगों के धन को गुमराह करके जमा करवाए जाने पर सुब्रत जहां एक साल की जेल काटने के बाद पैरोल पर चल रहे है लोगों के 24000 करोड़ वापिस देने का सुप्रीम कोर्ट में 2012 से मुकदमा भी चल रहा है।
दरअसल सहारा कम्पनी अपनी एक स्कीम के भुगतान को दूसरी स्कीम में डाल डाल कर गत कई वर्षों से जमाकर्ता को भुगतान कर ही नहीं रही साथ ही कम्पनी के एजेंट, कर्मचारियों के वेतन कमीशन भी काफी समय से नहीं दिए जा रहे उनके ईपीएफ खातो में भी करोड़ों का घोटाला है जिसको लेकर कम्पनी के पास कोई जवाब कभी नहीं बनता।
कम्पनी के कई एरिया ऑफिस, रीजन ऑफिस बन्द कर दिए गए है और कई बन्द किए जाने के कगार पर है।
कम्पनी का मुख्य कार्यालय लखनऊ में जहां जमाकर्ताओं का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है, साथ ही कम्पनी के मालिक एवं उनके परिवार के लोगों ने भी काफी समय से लोगों से मिलना संवाद करना तक बन्द कर दिया है।
केंद्र सरकार को इस गम्भीर मसले को गम्भीरता से लेते हुवे लोगों के करोड़ों के भुगतान को जारी करवाना चाहिए। मामला हालांकि अदालत में किन्तु जनता का काफी वक्त जाया हो रहा है जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

नाम बदल-बदल कर लोगों को कर रही है गुमराह
सहारा नाम बदल बदल कर स्थान बदल बदल कर लोगों को गुमराह करती है और परिपक्वता तिथि आने पर दूसरी स्कीम में पैसा बदल देती है। कम्पनी में दो नम्बर का पैसा बहुतायत में है, नोटबनदी में भी बन्द नोटों का कम्पनी ने जमकर निवेश लिया जब की केन्द्र सरकार एवं आरबीआई कि बिलकुल मनाही ओर हिदायत थी।

राजेश रोहिला ने सबसे ज्यादा किया घपला
बीकानेर जिले से कम्पनी के राजेश रोहिल्ला ने सबसे ज्यादा नोट बन्दी में बन्द नोटों का लेन देन किया था और जी ठोककर मुनाफा कमाया था रकम का फिफ्टी पर्सेंट निवेश और फिफ्टी पर्सेंट डकार गया इसके सम्बन्ध में पूरे सबूत सामाजिक कार्यकर्ता डूंगर सिंह के पास सुरक्षित है।

कम्पनी अब बना रही है राजीनामे का दबाव
जो भी लोग कम्पनी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे है उनके विरूद्ध कम्पनी ने एक वकीलों कि टीम गठित कर रखी है जो फर्जी मुकदमे आंदोलन करने वाले लोगों पर करवा कर उनको प्रताड़ित करने का काम करते है और कम्पनी से राजीनामे का दबाव बनाते है।

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