बीकानेर वासी सावधान! बच्चे में समझने की कमी हो या सामान्य बातें देर से सीखे तो तुरंत ध्यान दें, भेजिए साईनिंग स्टार चाइल्ड केयर में

बीकानेर वासी सावधान! बच्चे में समझने की कमी हो या सामान्य बातें देर से सीखे तो तुरंत ध्यान दें, भेजिए साईनिंग स्टार चाइल्ड केयर में

खुलासा न्यूज़, बीकानेर। आदर्श कॉलोनी में स्थित साईनिंग स्टार चाइल्ड केयर उद्घाटन बच्चों द्वारा किया गया। साईनिंग स्टार चाइल्ड केयर की संचालक डॉ. सुचिता बोथरा ने बताया कि 1 से 2 साल तक के ऐसे बच्चे होते हैं जो बोलते नहीं है। एबीए थैरेपी वैज्ञानिक पद्धति है जिसके जरिए बच्चों में स्किल डेवलेपमेंट सिखाया जाता है। ऑटिज्म के साथ-साथ कई बच्चे डेवलपमेंटल प्रॉब्लम और अटेंशन डिफिशिएंसी हाईपरटेंशन डिस ऑर्डर से भी पीडि़त होते हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण डेढ़ साल की उम्र में दिखने लगते हैं। ऐसे बच्चे समाज से जुड़ नहीं पाते। माता-पिता या कोई व्यक्ति कुछ कहे तो ध्यान नहीं देते। बुलाने पर प्रतिक्रिया नहीं देते। माता-पिता समझते हैं कि देरी से सीख जाएगा, लेकिन कई बार देर हो जाती है। यदि समय रहते ऐसे बच्चों की थैरेपी की जाए तो वे सीख सकते हैं। अन्यथा उनका मानसिक विकास रुक जाता है। उनहोंने बताया कि बीकानेर में यह इस तरह का पहला सेंटर है जिसमें एबीए पद्धति से जिसके जरिए बच्चों में स्किल डेवलेपमेंट सिखाया जाता है। यहां एबीए के अलावा अलग-अलग तरीके से जैसे स्पीच थेरेपी behaviour therapy occupational therapy core therapy उपलब्ध है। डॉ. सुचिता ने बताया कि कोविड-19 महामारी कम होने के बाद इस सेंटर का विस्तार कर विशेष बच्चों कि शिक्षा के लिए स्कूल मैं परिवर्तित किया जाएगा।

आपके बच्चे में ये प्रॉब्लम तो घबराए नहीं, अब होगा समाधान
अगर बच्चा बैठना, चलना और बोलना देरी से सीखे तो तुरंत ध्यान दें। यह ऑटिज्म की समस्या हो सकती है। हर पांच सौ में एक बच्चा एक बच्चा इस समस्या से जूझ रहा है। यदि समय रहते लक्षणों को पहचान कर उनका इलाज शुरू कर दिया जाए तो वह आम बच्चों की तरह मुख्य धारा से जुड़कर सकता है। ध्यान नहीं देने पर ऐसे बच्चों का मानसिक विकास रुक जाता है।एप्लाइड बिहेवियर एनालिसिस (एबीए) थैरेपी से ठीक किया जा सकता है। इस थैरेपी में बच्चों के बर्ताव, सीखने की कला को विकसित किया जाता है। बच्चे बोलते नहीं, पढ़ते-लिखते नहीं, अकेला रहना पसंद करते हैं। बातें नहीं करते हैं। यह ऑटिज्म के लक्षण हैं, लेकिन माता-पिता समझ नहीं पाते।

उद्घाटन कार्यक्रम के यह बने साक्षी
इस दौरान वरिष्ठ डॉक्टर डॉ. पी.सी.खत्री, डॉ. गौरव गौम्बर, डॉ. प्रताप सिंह, डॉ. निमिष खत्री, डॉ. नवनीत सुथार, डॉ. मीनाक्षी गोम्बर, डॉ. शशि सुथार, डॉ. अजित , थिरेपिस्ट मनोज, शिल्पी आदि उपस्थित थे।

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