
मंत्रिमंडल में बीकानेर से इनके नामों की चर्चा, लेकिन कहीं इससे भाजपा को न हो जाए नुकसान





मंत्रिमंडल में बीकानेर से इनके नामों की चर्चा, लेकिन कहीं इससे भाजपा को न हो जाए नुकसान
बीकानेर। राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के शपथ लेने के बाद अब सभी की निगाहें नए मंत्रिमंडल के गठन पर टिकी हुई है। मंत्रिमंडल में किसको शामिल किया जाएगा इसको लेकर दिल्ली से ही मुहर लगनी है। कई विधायकों को भी उम्मीद है की जिस तरह सीएम के नाम की घोषणा हुई कुछ उसी तरह ही मंत्रिमंडल की घोषणा हो सकती है। कब किस विधायक का नाम मंत्रिमंडल में आ जाए कुछ कहना मुश्किल ही नजर आ रहा है। लेकिन यह बात तो तय है की इस बार मंत्रीमंडल में ज्यादा से ज्यादा 60 साल से कम के विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। इसी के चलते कई विधायक शपथ ग्रहण के बाद से ही जयपुर में डेरा जमाए बैठे है। नंबर तो खेर किसका लगेगा वो तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा। इन सब के बीच बीकानेर से भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा का बाजार गर्म है। क्योंकि पिछले कांग्रेस सरकार में यहां से डॉ. बीडी कल्ला, गोविंदराम मेघवाल और भंवरसिंह भाटी मंत्री रह चुके है। ऐसे में भाजपा सरकार में भी दो से तीन को मंत्री बनाया जाना चाहिए। सबसे बड़ी बात यहां की सात में से छह सीटों पर भाजपा ने अपना परचम लहराया है। साथ ही लोकसभा में भी भाजपा को यहां से बड़ी जीत मिल चुकी है। ऐसे में बीकानेर को भी मंत्रिमंडल में काफी उम्मीद है। सियासी गलियों से जुड़े सूत्रों की माने तो मंत्रीमंडल में बीकानेर से लूणकरणसर विधायक सुमित गोदारा का नाम सबसे मजबूत माना जा रहा है। मंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी गोदारा के नाम की सिफारिश कर चुके है। लेकिन केवल सुमित को मंत्रिमंडल में लेने से कहीं भाजपा को जातिगत वोटों का नुकसान नहीं उठाना पड़ जाए। क्योंकि सबसे ज्यादा वोटो यहां पर राजपूत, ब्राह्मण और एससी के वोट अधिक है, जो ज्यादातर भाजपा के पक्ष में रहते है। ऐसे में अगर इनमे से किसी को मंत्री मंडल में शामिल नहीं किया जाता तो कहीं न कही भाजपा को लोकसभा चुनाव में इनकी नाराजगी का भी सामना करना पड़ सकता है। जबकि बीकानेर पूर्व से विधायक सिद्धि कुमारी लगातार चार बार जीत चुकी है, तो वहीं डॉ. विश्वनाथ मेघवाल भी पहले संसदीय सचिव के रूप में काम कर चुके है और फ़िलहाल अगले साल लोकसभा चुनाव भी है तथा सीट भी आरक्षित है। इसलिए डॉ. मेघवाल का भी मंत्रिमंडल में शामिल होने का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। कोलायत से पहली बार विधायक बने अंशुमान सिंह भी इस बार बड़ी जीत दर्ज कर चुके है। साथ ही भाजपा का युवा चेहरा भी है व उनके दादा देवीसिंह भाटी 7 विधायक रह चुके है तो उनका अनुभव भी काफी काम आएगा। भाटी कोलायत सहित कई सीटों पर अपना दबदबा रखते है। राजपूत वोटों को साधने के लिए पार्टी अंशुमान पर भी दांव खेल सकती है। दूसरी तरफ बीकानेर पश्चिम से कद्दावर नेता बीडी कल्ला को हराकर विधानसभा पहुंचे जेठानंद व्यास भी मंत्री बनने की दौड़ में बने हुए है। उसका बड़ा कारण संभाग में व्यास बड़ा हिंदू चेहरा भी है। साथ ही ब्राह्मण चेहरे के रूप में देखा जाए तो बीकानेर पश्चिम और श्री डूंगरगढ़ से ताराचंद सारस्वत भी जीतकर आए है। खैर मंत्री कौन बनेगा उसकी तो मुहर दिल्ली में ही लगेगी। लेकिन समीकरण सही नहीं बैठा तो पार्टी को लोकसभा चुनाव में कहीं न कहीं नुकसान उठाना पड़ सकता है।

