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डॉ.करणीसिंह स्टेडियम में दशहरा कार्यक्रम के दौरान मच गई अफरा-तफरी, आखिर किसने किए गेट बंद, क्या जिम्मेदार लोगों पर होगी कार्यवाही या प्रशासन रहेगा मौन

बीकानेर। रावण की नाभि में तीर लगते ही उसकी आंखों व मुंह से अंगारे निकलने लगे। अग्नि की लपटों से घिरते ही रावण थरथराने लगा। तेज धमाकों के बीच पुतला धू-धू कर जलने लगा। यह दृश्य था मंगलवार को डॉ. करणीसिंह स्टेडियम में आयोजित दशहरा उत्सव का। रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन हुआ। उत्सव स्थल पर रंगीन आतिशबाजी के भव्य नजारे देखने को मिले। उत्सव स्थल पर हजारों शहरवासी मौजूद रहे। लेकिन दूसरी तरफ कार्यक्रम ख़त्म होने के बाद फैली अव्यवस्था ने पोल खोलकर रख दी। जिससे यहां पहुंचे आमजन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। आयोजन कमेटी ने बिना सोचे समझे इतने पास छपवा लिए की स्टेडियम के बाहर भी लोग पास लिए खड़े रहे। लेकिन उनको प्रवेश ही नहीं मिल सका। जिससे भी अव्यवस्थाओं का आलम देखने को मिला। दरअसल, कार्यक्रम ख़त्म होने के बाद सभी लोग जैसे की एक साथ बाहर निकलने लगे तो उनको एक गेट छोड़कर सभी गेट बंद मिले। इस एक गेट से भी पहले अधिकारियों को बाहर निकाला गया। जिससे अचानक से भीड़ बढ़ गई। कुछ लोग ताला बंद गेटों को फांदकर बाहर निकलने को मजबूर हुए तो कुछ इस भीड़ में फसें रहे। कई महिलाओं के हाथों में छोटे बच्चें भी थे। लेकिन पहले अधिकारीयों को निकालने की जल्दी थी। स्टेडियम में निकासी के लिए अलग-अलग गेट थे लेकिन कार्यक्रम समापन के दौरान बचे बाकी के गेटों पर ताला जड़ दिया गया। ताला किसने जड़ा इसका किसी को पता ही नहीं है। जानकारों के अनुसार स्टेडियम में 30 हजार से अधिक लोगों की भीड़ थी, जिनमें बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं भी थीं। यदि भगदड़ मच जाती तो बड़ा हादसा हो सकता था। इस घटनाक्रम के बाद सवाल यही उठता है की क्या जिम्मेदारों पर कार्यवाही की जाएगी या फिर हादसों के बाद ही प्रसाशन चेतेगा?

यह है मामला
डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम के खत्म होने पर भारी अव्यवस्था फैल गई। स्टेडियम का मुख्य गेट छोड़कर सभी गेट बंद कर दिए गए थे। विजयादशमी पर्व पर करणी सिंह स्टेडियम में प्रवेश के लिए आठ दरवाजे खोले गए। इनसे ही निकासी की व्यवस्था पूर्व निर्धारित थी। हजारों लोग रावण दहन देखने के लिए अपने परिवार के साथ पहुंचे। आयोजन खत्म होने पर लोग लौटने लगे तो दरवाजे बंद मिले। किसी के कुछ समझ नहीं आया तो जिधर रास्ता मिला, उधर चलने लगे। वहां भीड़ का दबाव अचानक बढ़ गया। इससे अफरा-तफरी मच गई। देख कुछ लोग स्टेडियम के दरवाजे फांदकर बाहर निकलने लगे। स्टेडियम के मुख्य दरवाजे पर भीड़ का दबाव बहुत अधिक हो गया।

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