
सर्वे के लिए आएगी स्वच्छता सर्वेक्षण टीम, क्या आपको लगता है इस बार सुधरेगी शहर की रैंकिंग, दे अपनी राय






सर्वे के लिए आएगी स्वच्छता सर्वेक्षण टीम, क्या आपको लगता है इस बार सुधरेगी शहर की रैंकिंग, दे अपनी राय
बीकानेर। शहर में जगह-जगह हो रखे गड्ढों से हाल बेहाल हो रखा है। गंदगी के ढेर भी हर जगह पर आपको नजर आ ही जाएंगे। स्थिति तो यह है की अगर आप बाइक चला रहे हो तो ऐसी कोई सड़क नहीं है जहां आपको हर दो मिनट बाद ब्रेक नहीं लगाना पड़े। हर जगह टूटी सड़क और गड्ढों ने आम जनता को परेशानी में डाल रखा है। अब एक बार फिर शहर में स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए टीम आएगी। जानकारों के अनुसार टीम कभी भी शहर सर्वे के लिए बीकानेर पहुंच सकती है। मानसून सीजन में शहर पूरा क्षत-विक्षत है। सड़कों पर गडढ़े, उफनती सीवरेज, सफाई व्यवस्था चौपट। टिपर 100 के करीब ही शहर में घूम रहे। ट्रैक्टर पर तो खुले आम टेंडर शर्तों की धज्जियां उड़ रहीं। शहर में महिलाओं के लिए शौचालयों का अभाव है। साथ ही सर्वेक्षण में अच्छे अंक पाने के लिए शहर में जगह-जगह वाल पेंटिंग कर जागरुकता अभियान के जो स्लोगन लिखे गए। सर्वेक्षण टीम के बीकानेर आने से पहले ही पेंटिंग बिगड़ी नजर आ रही है। दीवारों पर जो हालात स्वच्छता सर्वेक्षण के स्लोगन और प्रचार-प्रसार के हैं। वही हालात जमीन पर स्वच्छता सर्वेक्षण के हैं। नगर निगम दोनों गेटों के सामने गंदगी पसरी हुई है। सीवरेज के पाइप डाले जा चुके लेकिन मिट्टी से गड्ढे का चबूतरा बना दिया गया। 4 सालों से स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर की रैंक गिरती जा रही है। 2020 में 194 रैंक थी। 2021 में यह 239 वें स्थान पर पहुंच गई। 2022 में 285 वें पायदान और बीते साल 2023 में बीकानेर स्वच्छता रैंकिंग में देश के 446 शहरों में 342वें स्थान पर पहुंच गई। बीकानेर लगातार रैंक में गिरती जा रही है। स्वच्छ जल और शौचालय की सुलभता से स्वच्छता सर्वेक्षण में सबसे अधिक अंक मिलता है। बीकानेर इन दोनों मामलों में फिसड़डी है। शौचालयों के हाल ये हैं कि बीकानेर के किसी भी प्रमुख बाजारों में महिलाओं के लिए शौचालय नही हैं। जो हैं उनकी सफाई तक नहीं होती। दूसरे नंबर पर पब्लिक वाइस है। हर हाथ में मोबाइल है। पर उनको कोई बताने वाला नहीं। कोई ऐसा आयोजन नहीं होता जिससे लोग अपनी राय दे सकें। स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रचार प्रसार करने के लिए बनाए गए स्लोगन ही मिट गए है।


