
बीकानेर: आखिर क्यों कर्मचारियों ने आईजीएनपी के खिलाफ खोल दिया मोर्चा, पढ़ें पूरी खबर







बीकानेर: आखिर क्यों कर्मचारियों ने आईजीएनपी के खिलाफ खोल दिया मोर्चा, पढ़ें पूरी खबर
बीकानेर। आईजीएनपी के कर्मचारियों ने अब अपने ही विभाग के खिलाफ मोर्चा खोलने की तयारी कर ली है। कर्मचारी नेता भंवर पुरोहित ने कर्मचारियों को लेकर एक बैठक की। दूसरे विभागों के कर्मचारी नेताओं से बात की और निर्णय हुआ कि रवि सोलंकी को तत्काल बीकानेर से हटाया जाए क्योंकि ये आईजीएनपी को लेकर साजिश कर रहे हैं। बीकानेर का एक भी पद यहां से नहीं जाने देंगे चाहें जिले के तमाम विभागों के दफ्तरों पर ताले डालने पड़ें। चीफ इंजीनियर तो यहां पोस्टेड होने के बाद भी यहां नहीं बैठते। जयपुर में ही बैठते हैं। दरअसल, ईआरसीपी(ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट) के भारी भरकम खर्च पूरा करने के लिए पहले अशोक गहलोत सरकार जल संसाधन विभाग की जमीन बेचने को तैयार थी। उसमें बीकानेर आईजीएनपी कैंपस की भी जमीन शामिल थी। कर्मचारियों ने जैसे-तैसे लड़ाई के दम पर वो जमीन बचाई। अब मौजूदा सरकार ने यहां के रिक्त पदों पर वक्र दृष्टि डाली है। आईजीएनपी के 100 पदों को ईआरसीपी में शिफ्ट कराने के लिए 19 फरवरी को पत्राचार शुरू हुआ था। बता दें कि वर्तमान मुख्य अभियंता पहले ईआरसीपी के मुखिया रह चुके हैं।
पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने ईआरसीपी को पूरा कराने के लिए प्रदेश के अलग-अलग शहरों में 1300 हेक्टेयर जमीन चिन्हित करवाई थी। इसमें से 152 हेक्टेयर तो ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट को हस्तांतरित कर भी दी गई है। बीकानेर में आईजीएनपी, बीसलपुर के माही प्रोजेक्ट, टोंक-देवली और बांसवाड़ा में जमीन बेचकर 3000 करोड़ से ज्यादा राशि एकत्र होनी थी लेकिन बीकानेर समेत तमाम जगह के कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ बिगुल फूंका तो सरकार बैकफुट पर आ गई।
बीकानेर समेत कुछ अन्य परियोजनाओं को लिखा गया
अब 19 फरवरी को जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता प्रशासन नवीन गुप्ता की ओर से एक पत्र बीकानेर समेत कुछ अन्य परियोजनाओं को लिखा गया जिसमें लिखा गया कि संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना यानी एकीकृत ईआरसीपी के अंतर्गत दूसरे चरण के कार्य के लिए अवाप्ति अधिकारी कार्यालय खोलने के लिए वित्त विभाग ने प्रशासनिक पदों की टिप्प्पणी मांगी है जो आप उपलब्ध कराएं। इस पत्र के जवाब में आईजीएनपी ने जल संसाधन को एक मार्च को पत्र लिखकर बताया कि वरिष्ठ सहायक के रिक्त पद 18 और कनिष्ठ सहायकों के 87 पद रिक्त हैं। यानी नहर विभाग ये पद देने के लिए आतुर भी हो गया। ऐसा इसलिए क्योंकि चीफ इंजीनियर रवि सोलंकी जिनके पास आईजीएनपी का चार्ज है वे अशोक गहलोत के कार्यकाल में ईआरसीपी योजना के मुखिया थे। इसलिए पदों को बचाने के बजाय सोलंकी ने तत्काल सूचना भेज दी। बीकानेर आईजीएनपी में आरपीएससी से चयनित होकर आए हों या मृतक आश्रित। जितने नए कर्मचारी हैं उनके लिए ये पदोन्नति का रास्ता है। इससे पहले हर साल बजट फाइनेंस कमेटी की मीटिंग में यहां रिक्त पद खत्म करने की सिफारिश होती रही है लेकिन कर्मचारियों ने संघर्ष से कुछ हद तक पदों को बचाया हुआ है। यानी पदोन्नत होकर भी वे बीकानेर में बने रह सकते हैं मगर रिक्त पदों को ईआरसीपी में शिफ्ट कर दिया गया तो पदोन्नति के रास्ते बहुत कम हो जाएंगे और अगर हुआ भी तो दूसरी योजनाओं में उनको भेजा जाएगा। इसलिए कर्मचारी लड़ाई के मूड में आ गए। मंगलवार को चीफ इंजीनियर के खिलाफ मोर्चा खोला जाएगा।
कर्मचारियों ने खोल दिया मोर्चा
जल संसाधन विभाग के पत्र के बाद अब कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया। कर्मचारियों ने कहा कि ईआरसीपी के लिए पहले भी हमारी जमीन हड़पने की कोशिश की गई थी। मौजूदा मुख्य अभियंता जो ईआरसीपी के इंचार्ज थे तब उन्होंने हमारी जमीन हड़पने की कोशिश की थी और अब यहां रहकर हमारे रिक्त पदों पर उनकी नजर है। मगर हम पदों को नहीं जाने देंगे चाहे जो कुर्बानी देनी पड़े।


