बीएसएफ की महत्वपूर्ण पहल: कैदियों को पौष्टिक भोजन बनाने का दिया प्रशिक्षण

बीएसएफ की महत्वपूर्ण पहल: कैदियों को पौष्टिक भोजन बनाने का दिया प्रशिक्षण

बीएसएफ की महत्वपूर्ण पहल: कैदियों को पौष्टिक भोजन बनाने का दिया प्रशिक्षण

बीकानेर। बीकानेर के केंद्रीय कारागृह में बंद कैदियों के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार हेतु सीमा सुरक्षा बल ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 124 बटालियन, बीएसएफ सेक्टर हेडक्वार्टर बीकानेर के तत्वावधान में कैदियों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें उन्हें पौष्टिक और शुद्ध आहार के विषय में जानकारी प्रदान की गई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य कैदियों के स्वास्थ्य में सुधार करना और उन्हें बेहतर जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है। यह कार्यक्रम बीएसएफ के डीआईजी अजय लूथरा, कमांडेंट संजय तिवारी, और डीसीजी महेश चंद जाट के नेतृत्व में किया गया। इस प्रशिक्षण सत्र में अनुभवी कुक और पोषण विशेषज्ञों ने कैदियों को सिखाया कि सीमित संसाधनों में किस प्रकार स्वास्थ्यवर्धक भोजन तैयार किया जा सकता है। कैदियों को यह भी बताया गया कि उनके भोजन में ताजे फल, सब्जियाँ, और प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करना उनके स्वास्थ्य के लिए कितना लाभकारी हो सकता है।

डीआईजी अजय लूथरा का कहना है कि बीएसएफ का कार्य सिर्फ देश की सीमाओं की रक्षा तक सीमित नहीं है। हमारा उद्देश्य समाज के सभी वर्गों की बेहतरी में योगदान देना भी है। उन्होंने इस प्रकार की पहल को भविष्य में भी निरंतर जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि समाज के हर वर्ग को स्वच्छ, स्वास्थ्यप्रद, और संतुलित भोजन प्राप्त हो सके। कमांडेंट संजय तिवारी ने बताया कि इस प्रशिक्षण का प्रमुख उद्देश्य कैदियों को उनके दैनिक आहार में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रोत्साहित करना है। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि कैदी बेहतर जीवनशैली अपनाएं और उनके मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार हो। इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि इस पहल से कैदियों को अपने भविष्य में एक अच्छी जिंदगी जीने की प्रेरणा मिलेगी।

प्रशिक्षण सत्र के दौरान कुक ने कैदियों को कुछ ऐसे विशेष व्यंजनों के बारे में भी जानकारी दी, जो आसानी से उपलब्ध सामग्री से बनाए जा सकते हैं और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। कैदियों को इस बात पर भी शिक्षित किया गया कि सीमित संसाधनों के बावजूद, पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन कैसे तैयार किया जा सकता है। जेल सुपरिंटेंडेंट सुमन मालीवाल ने भी इस पहल की सराहना की और कहा कि इस प्रकार का प्रशिक्षण कैदियों के भविष्य में उनके लिए आर्थिक रूप से सहायक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा, इस तरह का प्रशिक्षण कैदियों को जेल से बाहर निकलने के बाद होटल उद्योग में रोजगार के अवसर प्रदान कर सकता है, अथवा वे स्वयं का कोई भोजन से जुड़ा व्यवसाय भी शुरू कर सकते हैं।

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