
बीकानेर स्थापना दिवस : कोरोना का आतंक, घरों के अंदर रखकर मनाया जश्न, जमकर की पतंगबाजी






खुलासा न्यूज, बीकानेर। बीकानेर आज 534 साल का हो गया है। 1487 में अक्षय तृतीया को ही इस शहर को बसाया गया था। कोरोना के आतंक के कारण लोग घरों से बाहर निकल कर जश्न नहीं माना पा रहे हैं, लेकिन सभी छतों पर हैं और जमकर पतंगबाजी कर रहे हैं। लोगों के इस उत्साह को मौसम भी पूरा साथ दे रहा है। सुबह से अच्छी हवा चल रही है और धूप भी हल्की है। ऐसे में पतंगबाज पूरे उत्साह से आसमान को पतंंगों से भरे हुए हैं।
अक्षय तृतीया यानी आखातीज का सबसे ज्यादा लुत्फ परकोटे में रहने वाले बीकानेरी मनाते हैं। जहां ऐसी कोई छत नहीं होती, जहां कोई न कोई पतंग ना उड़ा रहा हो। घर की छत से कुछ दूरी पर पतंग पहुंचते ही पेंच हो जाते है। कुछ ही देर में एक तरफ से आवाज आती है “बॉयकाट्या’। इसका अर्थ है कि आपकी पतंग काट दी गई है। सुबह से शाम तक शहर के हर मोहल्ले में एक ही आवाज आती है, बॉयकाट्या। आखातीज ही एक ऐसा त्योहार है जब एक-दूसरे से सटे घरों में छत सब की एक हो जाती है। छतों की दीवार बहुत ही अधिकार के साथ लांघकर एक दूसरे के यहां पहुंच जाते हैं।
लॉकडाउन का असर
इस बार पतंगबाजी पर लॉकडाउन का असर है। आमतौर पर इस दिन कोटगेट से केईएम रोड तक और शहर की लगभग हर गली में पतंगों की दुकानों पर भारी भीड़ रहती है। इस बार ऐसा कुछ नहीं है। लोगों ने चोरी छिपे ही सही, लेकिन दो दिन पहले ही अपना स्टॉक खरीद लिया था। आम दिनों से अधिक कीमत पर पतंग व मांझा लेकर भी आज सुबह से लोग छत पर हैं, जो अंधेरा होने के बाद भी नजर आएंगे। बीकानेर में इस बार पतंगों की रेट हर साल से करीब दो गुनी है। अधिकांश पतंगे पिछले साल की है। यहां तक कि मांझा भी पिछले साल का ही काम आ रहा है। पतंगों के ज्यादा शौकीन ही महंगे दामों पर खरीद रहे हैं।
ईद के साथ पतंगबाजी
बीकानेर में अक्षय तृतीया का पर्व स्थापना से जुड़ा है, ऐसे में यह सभी धर्म समान रूप से मनाते हैं। ऐसे में शुक्रवार को दोनों पर्व एक साथ आने से पतंगबाजी का जोश दो गुना बढ़ गया है। मुस्लिम मोहल्लों में लोग ईद की नमाज अदा करने के बाद छतों पर आ गए हैं। इस बार घरों में ही ईद की नमाज होने से यहां छत पर जल्दी पहुंच गए। आखातीज एक तरह से यहां कौमी एकता का प्रतीक भी बन गया है।


