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बीकानेर- सबकुछ बंद, शराब की दुकानों का लॉक खुला, अन्य वर्गों में रोष

बढ़ते कोरोना संक्रमण का हवाला देकर राज्य में जरूरी सेवाओं को छोड़, सबकुछ बंद कर दिया गया है। रविवार देर रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 3 मई तक लॉकडाउन लगाने की घोषणा की थी। इसके बावजूद  सोमवार को शराब की बिक्री शुरू हो गई है। इसके पीछे शराब कारोबारी गाइडलाइन का हवाला देते हैं। गृह विभाग की ओर से जारी गाइडलाइन के एक बिंदु का जिक्र करते हुए कारोबारी शराब बेच रहे हैं। वहीं, नाम नहीं छापने की शर्त पर आबकारी विभाग के आला अधिकारी भी इसको सही मान रहे हैं, पर ऑन रिकॉर्ड कुछ भी कहने से इंकार कर रहे हैं। खास बात यह है कि खुलने के बाद भी शराब दुकानों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई का न होना, सरकार की सहमति दर्शाता है।

उनके इस निर्णय ने बेशक एक वर्ग विशेष को खुश कर दिया है लेकिन इस निर्णय के बाद अन्य वर्गों में रोष व्याप्त है! इसका असर ठेकों पर होने वाली भीड़ से और शराब पीने के बाद उनके मुँह से निकलने वाले अनर्गल शब्दों को सुनकर आसानी से लगाया जा सकता है! दारू को जरूरी सामान की लिस्ट में सम्मान मिलने के बाद अन्य व्यवसाय करने वाले अपमान का घूंट पी रहे हैं!
टेलरिंग का व्यवसाय करने वाले जयकिशन टाक ने अपना रोष प्रकट करते हुए बताया कि कोरोना ने सभी व्यवसाय चौपट कर दिया है, उस पर मुख्यमंत्री के इस निर्णय ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया है! वर्तमान में शादियों का सीजन शुरू हो रहा है! सर्वविदित है कि इससे पचासों रोजगार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं! जिनकी पूरी तरह से बज चुकी है! ऐसे में गरीब, मजदूर , कामगारों को नंगा नहाएगा क्या और निचोड़ेगा क्या की कहावत याद आ रही है! अनुशासन पखवाड़े में राज्य सरकार के इस कदम से जातिगत कामगारों में शामिल दर्जी, सुथार, हेयर कटिंग वाले, लुहार, सुनार, हलवाई, टैंट व्यवसायियों की हवा टाइट हो गई है! बैंड वालों का बिन बजाए ही बैंड बज गया है, जूता व्यवसायी के जूते पड़ गए हैं! कहने का अभिप्राय यह कि हर वर्ग में निराशा का माहौल है! अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार अपने निर्णय पर पुन: विचार करती है या जनविरोधी भावना को बल देती है!

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