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बीकानेर/ बोर्ड के दामन पर हर बार दाग, फिर भी भरोसा

खुलासा न्यूज,बीकानेर।  आरटीई अधिनियम के तहत शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने बाद ही तृतीय श्रेणी शिक्षक के पद पर नौकरी देने के प्रावधान के बाद देश में दस साल 20 शिक्षक पात्रता परीक्षाओं का आयोजन हो चुका है। लेकिन राजस्थान में दस साल में महज पांच बार ही रीट परीक्षा का आयोजन हुआ है। प्रदेश में हर बार कभी प्रश्न लीक तो कभी रीट से आरटेट के नाम को लेकर विवाद हुआ। वर्ष 2011 से लेकर 2021 के प्रश्न पत्रों में चीट को लेकर धरने-प्रदर्शन हुए। जबकि सीटेट परीक्षा नकल के खेल की वजह से एक बार भी विवादों में नहीं आई। जबकि रीट से कई गुणा परीक्षार्थी सीटेट में शामिल होते है। इस बार रीट में चीट को लेकर प्रदेश में आंदोलनों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। बेरोजगारों की ओर से परीक्षा में नए सिरे से परीक्षा कराने की मांग की जा रही है।

बोर्ड के दामन पर हर बार दाग, फिर भी भरोसा

शिक्षक पात्रता परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों के आऊट होने की वजह से राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के दामन पर कई बार दाग लग चुके है। कई बार प्रदेश में परीक्षा एजेंसी बदलने की भी मांग गूंजी। लेकिन दोनों ही सरकारों का भरोसा राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पर रहा। हालांंकि इस बार सरकार ने एक और परीक्षा दूसरी एजेंसी से कराने के संकेत दिए है।

1. रीट के अंकों का 70 से 90 फीसदी वैटेज

प्रदेश में रीट में चीट के पीछे असली वजह रीट के अंकों को नौकरी में 70 से 90 फीसदी तक वैटेज मिलना है। ऐसे में नकल गिरोह भी इस परीक्षा में सबसे ज्यादा सक्रिय रहते है। क्योंकि सिर्फ एक परीक्षा पास करने के बाद तृतीय श्रेणी अध्यापक के पद पर नौकरी मिल जाती है। जबकि देश के ज्यादातर राज्यों में पात्रता परीक्षा के बाद एक और परीक्षा होती है।

2. कई साल में परीक्षा का आयोजन, जबकि सीटेट छह महीने में

रीट में चीट की दूसरी वजह यह है कि सीटेट का आयोजन हर छह महीने से हो जाता है। जबकि राजस्थान में शिक्षक पात्रता परीक्षाओं का आयोजन दो से तीन साल में एक बार होता है। इस वजह से बेरोजगारों में इस परीक्षा को लेकर काफी क्रेज रहता है। वर्षो में परीक्षा होने की वजह से परीक्षार्थियों की संख्या भी दस से 16 लाख को पार कर जाती है। ऐसे में बड़े स्तर पर सरकार को इंतजाम करने होता है। इसका फायदा नकल गिरोह आसानी से उठा लेते है।

दो रीट में न्यूनतम अंकों को लेकर ज्यादा विवाद

प्रदेश में पहली बार शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन वर्ष 2011 में आरटेट के रूप में हुआ था। दूसरी बार 2012 में परीक्षा हुई थी। इन दोनों परीक्षाओं में न्यूनतम उत्तीर्ण करने अंकों का विवाद हुआ। विवाद का हल वर्ष 2016 में उच्चतम न्यायालय में जाकर हुआ था। इनके बाद हुई शिक्षक पात्रता परीक्षा में विवाद तो नही हुए लेकिन समय पर परीक्षा का आयोजन नही हो सका। 2015 एवं 2017 में रीट के नाम से हुई थी। इस बार रीट में चीट को लेकर विवाद लगातार जारी है।

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