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आखिर क्यों अब पूर्व महापौर के बाद उनके पीए की भी चर्चा है बाजार में

आखिर क्यों अब पूर्व महापौर के बाद उनके पीए की भी चर्चा है बाजार में

बीकानेर। होर्डिंग्स के ठेकों को लेकर भी इन दिनों चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस रोड पर लग रहे होर्डिंग्स को भी कहीं न कही नए ठेकेदार से जोड़कर देखा जा रहा है। बीकानेर नगर निगम में पूर्व महापौर के निजी सहायक (पीए) के नाम की चर्चा शुरू हो गई है। सूत्रों के अनुसार हुआ यूं की नगर निगम की ओर से होर्डिंग्स का ठेका दिया गया था। जिसमें पूर्व महापौर के निजी सहायक अनंत पारीक का नाम भी सामने आया है। निगम से जुड़े जानकारों की माने तो 100 साइट का टेंडर लगभग सवा करोड़ है और साथ ही जो अब यूनीपोल लगे है उन एक यूनीपोल की कॉस्ट करीब 2 लाख है आखिर कल तक जो पीए की नौकरी कर रहे थे आज इतना कैश कहा से आया क्या ये तैयारी महापौर के निजी सहायक रहते हुए कर ली थी। क्योंकि पीबीएम के पास जहां साइटों को हटाया गया था आज वह बिना पीबीएम की परमिशन से वापस साइट लग गई । इसको लेकर पिछले कई दिनों से चर्चाओं का बाजार गर्म है।

जहां यातायात के दबाव को देखते हुए हटाई थी दीवार, वहां फिर लग गए होर्डिंग्स

कुछ समय पहले बीकानेर के संभागीय आयुक्त रहे नीरज के पवन ने शहर में आमजन की सुविधा के लिए कई बदलाव किए। उनके कामकाज से आमजन को काफी राहत भी मिली। इतना ही नहीं सालों से हुए अतिक्रमण को कुछ ही घंटों में साफ कर आमजन को राहत भी प्रदान की। वहीं उसी समय यहां के तत्कालीन कलेक्टर भगवती प्रसाद के कहने पर रानी बाजार पुल के सामने पीबीएम हॉस्पिटल की जमीन मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल ने वहां दीवार 30-40 फीट पीछे कर ली थी। स्थान खाली होने के बाद वहां भारी वाहनों को निकालने के लिए सर्किल बनाया जाना था, लेकिन किसी कारण नहीं बन पाया। लेकिन अब एक बार फिर वहां होर्डिंग्स लगने शुरू हो गए है। शहर में होर्डिंग लगाकर कमाई करने के लिए नगर निगम ने अब सरकारी विभागों की जमीनों को भी ठेके पर देने का काम शुरू कर दिया है। नगर निगम ने हाल ही में शहर के सात में से चार जोन में होर्डिंग लगाने के लिए करीब तीन करोड़ रुपए के टेंडर एक साल के लिए किए हैं। विज्ञापन से कमाने के लिए ऐसी साइट भी ठेकेदार को सौंप दी जो, सरकारी विभाग की है। कहीं पर बिजली की हाई टेंशन तार निकल रहे हैं। आंबेडकर सर्किल से मेडिकल कॉलेज तक यातायात के दबाव को देखते हुए पीबीएम हॉस्पिटल की दीवार को पीछे करने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए पुल के सामने और तत्कालीन अधीक्षक डॉ. पीके बेरवाल के सरकारी आवास से लेकर 16 नंबर आउटडोर तक दीवार को तोड़कर पीछे किया गया था। बाद में पीबीएम प्रशासन ने नई दीवार बनवा ली।

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