शिक्षा विभाग में चल रहा है बड़ा खेल शिक्षक प्रतिनियुक्ति के अलावा इधर-उधर ड्यृटी दे रहे है - Khulasa Online शिक्षा विभाग में चल रहा है बड़ा खेल शिक्षक प्रतिनियुक्ति के अलावा इधर-उधर ड्यृटी दे रहे है - Khulasa Online

शिक्षा विभाग में चल रहा है बड़ा खेल शिक्षक प्रतिनियुक्ति के अलावा इधर-उधर ड्यृटी दे रहे है

जयपुर। शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति के सियासी खेल में बच्चों को पढ़ाई का खासा नुकसान हो रहा है। हालात यह हैं कि करीब 35 प्रतिशत शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर स्कूल के अलावा इधर उधर ड्यूटी कर रहे हैं। जबकि शिक्षकों की नियुक्ति कक्षा में पढ़ाने के लिए और स्कूल के संचालन के लिए होती हैं, लेकिन पिछले कई सालों से देखा गया है कि कक्षा-कक्ष का शिक्षण जो शिक्षक का प्राथमिक कार्य होता है, वह गौण होता जा रहा है। शिक्षकों को अन्य गैर शैक्षणिक कार्यों में लगा कर उन्हें कक्षा कक्ष से दूर किया जा रहा हैं। इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर हो रहा हैं। शिक्षा विभाग में एक अलग पैटर्न पर प्रतिनियुक्ति का खेल चल रहा है। प्रदेश के विभिन्न कार्यालयों में संस्था प्रधान से लेकर तृतीय श्रेणी शिक्षक तक कुल करीब पांच हजार शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर लगे हुए हैं।
प्रतिनियुक्ति पर शिक्षकों की नजर
प्रतिनियुक्ति के पीछे राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स ने अपने चहेतों को फायदा देने के लिए 4 से 5 साल के लिए किसी कार्यालय में प्रतिनियुक्ति कर दी जाती है। लेकिन आज तक का अनुमान ये बता रहा है कि जो भी शिक्षक किसी कार्यालय में चार से पांच साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर जाता है।प्रतिनियुक्ति का समय पूरा होने पर वह शिक्षक स्कूल में वापिस जाने में कतराता है। उसके बाद वो किसी दूसरे कार्यालय में प्रतिनियुक्ति पर जाने का जुगाड़ बैठाने में लग जाता है। क्योंकि कार्यालय में रहने पर वह शिक्षक अपने स्वयं को अधिकारी समझने लग जाते हैं और वहां शिक्षक गौण हो जाता है। अधिकारी के रूतबे के कारण वह शिक्षक दोबारा स्कूल में नहीं जाते हैं।
5 साल से अधिक नहीं रहेगी अब प्रतिनियुक्ति
अतिरिक्त मुख्य सचिव पवन कुमार गोयल ने शिक्षा ग्रुप-2 से आदेश जारी किया है कि किसी भी शिक्षक को अपने सेवा काल में पांच साल से अधिक प्रतिनियुक्ति पर नहीं रहेगा। इसका स्कूलों को लाभ मिलेगा। शिक्षक अपनी सेवा के दौरान 20 से 25 साल प्रतिनियुक्ति पर ही रहते है। बाबुगिरी या अधिकारी के रूतबे में ही रहते हैं। जबकि उनकी नियुक्ति शिक्षक के पद पर हुई हैं। विभिन्न कार्यालयों में 5 साल के लिए प्रधानाचार्य, व्याख्याता और वरिष्ठ अध्यापकोंको प्रतिनियुक्ति पर लगाने का खेल लंबे समय से चल रहा है।
वेतन में 20 प्रतिशत की हो कटौती
प्रतिनियुक्ति का खेल कई वर्षों से अनवरत जारी हैं, एक बार किसी कार्यालय में लगने के बाद दोबारा वह शिक्षक स्कूल में नहीं जाकर किसी दूसरे कार्यालय में प्रतिनियुक्ति के जुगाड़ में लग जाता है। प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले शिक्षक का 20 प्रतिशत वेतन कम करने पर इस समस्या का समाधान संभव है।

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