
बड़ा पद, काले कारनामे : आईजी पर छेड़छाड़ का केस





हरियाणा-पंजाब समेत कई राज्यों में आला अफसरों पर बदसलूकी और छेड़छाड़ जैसे इल्जाम लगते रहे हैं. हाल ही में हरियाणा के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) हेमंत कलशन के खिलाफ एक महिला की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई थी. आरोप है कि आईपीएस अफसर हेमंत ने उस महिला के घर में घुसकर बदतमीजी की थी. आईजी पर एक शख्स के साथ लड़ाई-झगड़ा करने का भी आरोप है.
आईजी ने घर में घुसकर महिला से की बदतमीजी
हरियाणा पुलिस के मुताबिक बीती 21 अगस्त को एक महिला ने पुलिस महानिरिक्षक हेमंत कलशन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. महिला का संगीन आरोप था कि हेमंत कलशन ने उनके घर में घुसकर उनके और उनकी बेटी के साथ बदसलूकी की थी. थाना पिन्जौर में हेमंत कलसन के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया. और फिर आरोपी आईपीएस को गिरफ्तार कर लिया गया.
बड़ा पद, काले कारनामे
दरअसल, किसी बड़े अफसर के खिलाफ ऐसा मामला पहली बार नहीं है. इससे पहले भी हरियाणा-पंजाब में ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें आला अफसरों ने अपने पद और पेश को शर्मसार किया. ऐसे आला अधिकारियों की शर्मनाक करतूतों ने कई बार देश में सुर्खियां बटोरीं. इनमें कुछ मामले तो आज भी लोगों के जेहन में किसी बदरंग कहानी की तरह जिंदा हैं. ऐसे ही कुछ मामले हम आपको बताने जा रहे हैं.
आईएएस रूपन देओल बजाज का संघर्ष
रूपन पंजाब कैडर में आईएएस अधिकारी थीं. वो अपने काम और बर्ताव के लिए लोकप्रिय थीं. मगर साल 1988 में रूपन देओल बजाज का नाम अचानक देश की मीडिया में छा गया. दरअसल रूपन ने पंजाब के तत्कालीन डीजीपी केपीएस गिल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. पंजाब के पुलिस महानिदेशक पद पर आसीन गिल बहुत ताकतवर माने जाते थे. उन्होंने इस मामले को दबाने और निपटाने की हरसंभव कोशिश की लेकिन रूपन देओल ने हार नहीं मानी. 17 साल तक वो कानूनी लड़ाई लड़ती रहीं और आखिरकार अदालत ने उनके साथ इंसाफ किया. उस वक्त अदालत ने केपीएस गिल को आईपीसी की धारा 305 और 509 के तहत दोषी करार दिया था. जिनके तहत सन् 1860 के बाद कोई भी केस दर्ज नहीं किया गया था.
पत्रकार शिवानी भटनागर हत्याकांड
शिवानी भटनागर हत्याकांड ने साल 1999 में पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा था. उन दिनों शिवानी भटनागर समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकार थीं. मगर अचानक 23 जनवरी, 1999 को बेरहमी के साथ उनका कत्ल कर दिया गया. कातिलों ने दिल्ली के पटपड़गंज इलाके में मौजूद उन्हीं के फ्लैट में उनको मौत के घाट उतार दिया था. हत्या के बाद ये मामला तब और सनसनीखेज हो गया, जब इस कत्ल का आरोप एक आईपीएस अधिकारी आरके शर्मा के सिर आ गया. जैसे ही आरोपी आईपीएस को इस हत्याकांड में अपना नाम आने की बात पता चली, वो फरार हो गया.
इस मामले में अदालत ने अगस्त 2002 को भगोड़े आईपीएस आरके शर्मा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया. इस बीच उसे आईजी जेल के पद से भी हटा दिया गया. आरोपी आरके शर्मा की पत्नी मधु शर्मा ने उस वक्त और सनसनी फैला दी, जब इस केस में उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रमोद महाजन का नाम भी घसीट लिया. लेकिन पुलिस ने अपनी जांच में महाजन को क्लीन चिट दे दी थी.
आरोपी आरके शर्मा ने सितंबर 2002 में खुद अंबाला कोर्ट के सामने सरेंडर कर दिया. इसके बाद शर्मा को तिहाड़ जेल भेज दिया गया. आरके शर्मा और अन्य तीन आरोपियों को दोषी करार देते हुए निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई. इसके खिलाफ दोषियों ने हाईकोर्ट में अपील की. कुछ साल बाद शिवानी भटनागर मर्डर केस में दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व आईपीएस आरके शर्मा समेत तीन आरोपियों को बरी कर दिया. दो अन्य आरोपी थे श्रीभगवान दास और सत्यप्रकाश. लेकिन कोर्ट ने प्रदीप राय नामक आरोपी की सजा बरकरार रखी है.
प्लेयर रुचिका गिरहोत्रा की डेथ मिस्ट्री
रुचिका बड़ी होनहार थी. उसने टेनिस में अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी थी. लोग उसे जानने लगे थे. मगर 12 अगस्त 1990 के दिन 14 साल की टेनिस खिलाड़ी रुचिका गिरहोत्रा के साथ हरियाणा पुलिस के तत्कालीन इंस्पेक्टर जनरल, एसपीएस राठौर ने अपने ऑफिस में छेड़छाड़ की. उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इतना बड़ा पुलिस अफसर उसके साथ इतनी गंदी हरकत कर सकता है.
रुचिका ने इस मामले की शिकायत दर्ज कराई. नतीजा ये हुआ कि राज्य की पुलिस ने उनके पूरे परिवार को परेशान किया. आरोपी एसपीएस राठौर को खाकी का सरंक्षण हासिल था. उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी. लिहाजा नाउम्मीद होकर 28 दिसंबर 1993 को रुचिका ने आत्महत्या कर ली.
वर्ष 1998 में कोर्ट ने इस केस की जांच सीबीआई के हवाले कर दी. सीबीआई ने जांच की और अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया. साल 2010 में आरोपी आईजी राठौर के खिलाफ रुचिका को आत्महत्या के लिए उकसाने का एक नया केस दर्ज किया गया. हालांकि, अदालत ने 2016 में राठौर को पीड़ित के साथ छेड़छाड़ करने का दोषी ठहराया. लेकिन उसे आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोपी नहीं माना था.

