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बडी खबर: स्वास्थ्य विभाग ने सीएमएचओ को किया एपीओ

श्रीगंगानगर। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. मनमोहन गुप्ता के खिलाफ शिकायतों की लंबी फेहरिस्त और जनप्रतिनिधियों की नाराजगी के कारण चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने एपीओ कर दिया। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त शासन सचिव निमिषा गुप्ता ने सीएमएचओ डा. गुप्ता को प्रतीक्षा अवधि में मुख्यालय जयपुर स्थित निदेशालय कार्यालय में रहने के आदेश जारी किए हैं। इधर, आरसीएचओ डा. गिरधारीलाल मेहरड़ा को गुप्ता की जगह कार्यवाहक के रूप में काम करने के आदेश किए गए है। मेहरड़ा ने बताया कि आदेश जैसे ही मिला तो गुप्ता ने अब 18 मार्च तक अवकाश ले लिया है। इधर, गुप्ता के कई समर्थकों ने राजस्थान हाईकोर्ट की शरण लेने की सलाह दी है। इस संबंध में कानूनविदों से भी संपर्क साधा गया है। हालांकि डा. गुप्ता से जब इसकी पुष्टि करने के लिए संपर्क किया गया तो उन्होंने मोबाइल कॉल रिसीव नहीं किया। उधर, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों का कहना है कि चिरंजीवी योजना में कई प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ शिकायतें आई थी, इन पर एक्शन लेने की बजाय लीपापोती कर दी गई। इस संबंध में पीडि़त पक्ष ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट तक शिकायतें की। श्रीगंगानगर, सादुलशहर और श्रीकरणपुर के विधायकों को भी इस सीएमएचओ ने तवज्जो नहीं दी। इसके साथ साथ चिकित्सा विभाग में राज्य सरकार की कई योजनाओं की अपडेट सूचना नहीं देने पर कलक्टर ने भी इसे गंभीरता से लिया कलक्टर की अनुशंषा पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने एपीओ करने में देर नहीं की।
सीएमएचओ डा. गुप्ता के आने के बाद उनके अधीनस्थ स्टाफ और चिकित्सा अधिकारियों में तालमेल की कमी रही। ऑफिस में स्टाफ कर्मियों से सहजता से मिलने की बजाय कन्नी काटने लगे। यहां तक कि किसी अस्पताल में औचक निरीक्षण करने के दौरान चुनिंदा कार्मियों को साथ में रखने से अधिकांश स्टाफ के बीच दूरियां बढ़ गई। ऑफिस कैम्पस में विभिन्न शाखाओं से काम कराने की बजाय उनके अपने स्तर पर रिपोर्ट भिजवाने की औपचारिकता अपनाई। नतीजतन कई योजनाओं की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों के पास पहुंची नहीं।
वहीं कई अस्पतालों में चिरंजीवी योजना के पात्र लाभार्थियों से रुपए मांगने पर संबंधित चिकित्सकों के खिलाफ शिकायतें आई तो सीएमएचओ ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। ऐसे में शिकायतकर्ताओं ने जनप्रतिनिधियों और उच्चाधिकारियों तक अपनी शिकायतें प्रेषित कर दी।
इधर, पूर्व उप मुख्यमंत्री पायलट के समर्थकों ने भी सक्रिय रहा। एक चिकित्सा अधिकारी के खिलाफ पुराने घोटाले मामले की जांच कराने के लिए एफआईआर कराने के लिए सीएमएचओ से संपर्क किया गया। लेकिन एफआइआर दर्ज कराने की बजाय जयपुर से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम बुलाकर जांच दुबारा करने की बात कहकर यह मामला दबा दिया। यह मामला जिला परिषद की साधारण सभा बैठक में भी उठा था। अपनी ही सरकार में सुनवाई नहीं होने पर पायलट खेमे के समर्थकों ने जयपुर तक सीएमएचओ के खिलाफ शिकायतों का अंबार लगा दिया।

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