
विधायकों के वेतन भत्तों को लेकर आई बड़ी खबर





जयपुर। प्रदेश के सियासी संकट के बीच विधायकों के वेतन भत्ते रोकने से जुड़ी पत्रकार विवेक सिंह जादौन की जनहित याचिका को राजस्थान हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने संबंधित अथॉरिटी के समक्ष प्रतिवेदन पेश करने की छूट दी है. सीजे इंद्रजीत महांति, जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने याचिका को खारिज किया है.
प्रदेश में वित्तीय हालात सही नहीं
इससे पहले पत्रकार विवेक सिंह जादौन ने जनहित याचिका दायर कर होटलों में रुके विधायकों को वेतन भत्ते रोकने को लेकर यह कहते हुए चुनौती दी थी कि कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश में वित्तीय हालात सही नहीं है. लेकिन फिर भी एमएलए अपने मौजूदा विधानसभा क्षेत्रों में नहीं जा रहे हैं. जनहित याचिका में कहा गया कि विधायक ना ही अपने क्षेत्र में जा रहे है और ना ही विधायी कार्य कर रहे है ऐसे में उन्हें वेतन-भत्तों का भुगतान क्यों किया जाए.
एमएलए आमजन के धन का दुरुपयोग कर रहे:
पीआईएल में कहा कि प्रदेश में एक ही राजनीतिक दल से जुड़े ये एमएलए आपसी प्रतिस्पर्धा के चलते आमजन के धन का दुरुपयोग कर रहे है. इसलिए जयपुर व मानेसर की होटलों में रुके हुए एमएलए के वेतन-भत्तों को रोका जाए. याचिका में सीएम सहित विधानसभा स्पीकर, विधानसभा सचिव व मुख्य सचिव को पक्षकार बनाया है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांति की खण्डपीठ में याचिका पर सुनवाई होगी.
राज्यपाल को पद से हटाने से जुड़ी याचिका को खारिज किया:
वहीं इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने आज राज्यपाल से जुड़ी 2 महत्वपूर्ण जनहित याचिकाओं को भी खारिज कर दिया. राज्यपाल को पद से हटाने से जुड़े मामले में हाई कोर्ट ने जनहित याचिका को सारहीन बताया. शांतनु पारीक द्वारा लगाई गई याचिका को सीजे इंद्रजीत महांति ने सारहीन बताते हुए खारिज किया. याचिका में विधानसभा सत्र नहीं बुलाने को लेकर राज्यपाल को हटाने की गुहार की गई थी. इसके साथ ही केंद्र सरकार को राष्ट्रपति को सिफारिश भेजने के निर्देश देने की भी मांग की गई थी.
राज्यपाल से जुड़ी दूसरी जनहित याचिका भी खारिज:
इसके साथ ही राज्यपाल से जुड़ी दूसरी जनहित याचिका भी हाई कोर्ट ने खारिज कर दी. एडवोकेट एसके सिंह की जनहित याचिका को विड्रॉ करने पर हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. यह जनहित याचिका राज्यपाल को सत्र आहूत करने के निर्देश देने को लेकर दायर की गई थी.


