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बडी खबर: जवान की मौत के मामले में प्रशासन व धरनार्थियों के बीच बनी सहमती, धरना समाप्त

बडी खबर: जवान की मौत के मामले में प्रशासन व धरनार्थियों के बीच बनी सहमती, धरना समाप्त
बीकानेर। सैना के जवान में गोली से हुई मौत को लेकर पिछले पांच दिनों से चल रहा शहादत को सम्मान दिलवाने का धरना समाप्त कर दिया गया है। धरनार्थियों एवं प्रशासन के बीच में शनिवार को कई मुद्दों पर सहमती बन गई थी लेकिन गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतिम संस्कार होने की मांग पर वार्ता विफल हो गई। सकारात्मक रूख को देखते हुए रविवार सुबह ही म्यजियम चौराहे से टेंट हटा लिया गया था एवं धरना शहीद कैप्टन चंद्रचौधरी सर्किल के अंदर लगा दिया गया था। इसके बाद अभी अभी संघर्ष समिति एवं प्रशासन के बीच हुई वार्ता के बाद धरना हटाने का निर्णय ले लिया गया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य हरिराम बाना ने बताया कि धरनास्थल पर संघर्ष समिति एवं जिला कलेक्टर नम्रता मिशलिन, एसपी कवींद्र सागर, जिला परिषद सीईओ सोहनलाल के साथ हुई वार्ता के बाद सैनिक सम्मान के साथ अंतेष्टी करने की मांग मान ली गई है। विदित रहे कि जिला प्रशासन ने रविवार सुबह सैनिक रामस्वरूप कस्ंवा के पैतृक गांव पांचू पहुंच कर परिजनों से समझाईश भी की थी। विदित रहे कि शनिवार रात को भी लोग डटे रहे थे एवं नागौर सांसद हनुमान बेनिवाल ने भी धरने में शामिल होकर सोमवार को कलेक्ट्रेट के घेराव की चेतावनी दी थी।
25 सितम्बर को लगी थी गोली।
कश्मीर के अंनतनाग में बीकानेर के पांचू के जवान रामस्वरूप कस्वां को गत 25 सितंबर को गोली लगी थी। प्रारंभिक तौर पर सामने आया था कि ऑन ड्यूटी फायरिंग के दौरान जान गई, जिसे बाद में सुसाइड बताया गया। इसके बाद परिवार एवं क्षेत्र के लोगों ने शहीद का दर्जा देने सहित अन्य मांगों पर आंदोलन शुरू कर दिया था। शव अभी तक मिलिट्री कैंट एरिया (बीकानेर) में स्थित सरकारी अस्पताल में ही रखा हुआ है।
गार्ड ऑफ ऑनर पर फंसा था पेंच।
शनिवार को हुईवार्ता में संघर्ष समिति और प्रशासन के बीच कई मांगों पर तो सहमति बन गई थी लेकिन गार्ड ऑफ ऑनर के साथ अंतेष्टि करने पर पेंच फंसा हुआ था। प्रशासन का कहना है कि शहीद का दर्जा मिलने तक गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जा सकता। वहीं परिजन इस बात पर सहमत है कि सेना नहीं कर सकती है तो पुलिस ही ये काम कर दे। शनिवार की वार्ता में कस्वां के शव को तिरंगे में लपेटकर अंतिम संस्कार स्थल तक ले जाने पर सहमति बनी, लेकिन गार्ड ऑफ ऑनर पर दोनों पक्षों में वार्ता विफल हो गई थी। इसके बाद रविवार को यह गतिरोध भी दूर हो गया है एवं प्रशासन ने सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करवाने की बात मान ली है।
शहीद का दर्जा कब?
आंदोलन से जुड़े नेता भी स्वीकार कर रहे हैं कि कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के बाद ही रामस्वरूप कस्वां को शहीद का दर्जा मिल सकता है। इस मांग पर परिजन और आंदोलनकारी नेता शनिवार से ही प्रशासन के साथ सहमत थे।

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