भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाए मन तृप्त नहीं होता:स्वामी

भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाए मन तृप्त नहीं होता:स्वामी

बीकानेर। खारड़ा गांव स्थित हरिराम जी मंदिर में आयोजित सात दिवसीय श्री मद्भागवत कथा के पांचवे दिन सुनीता स्वामी ने भक्त प्रहलाद चरित्र, भरत चरित्र, पृथु चरित्र व हिरण्यकश्यप वध, नरसिंह अवतार व समुद्र मंथन का वर्णन किया। कथावाचक ने व्याख्यान करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का केंद्र है आनंद। आनंद की तल्लीनता में पाप का स्पर्श भी नहीं हो पाता। भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाए मन तृप्त नहीं होता है। उन्होंने कहा कि हिरण्यकश्यप नामक दैत्य ने घोर तप किया। तप से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी प्रकट हुए व कहा कि मांगों जो मांगना है। यह सुनकर हिरण्याक्ष ने अपनी आंखें खोली। और ब्रह्माजी को अपने समक्ष खड़ा देखकर कहा-प्रभु मुझे केवल यही वर चाहिए कि मैं न दिन में मरूं, न रात को, न अंदर, न बाहर, न कोई हथियार काट सके, न आग जला सके, न ही मैं पानी में डूबकर मरूं, सदैव जीवित रहूं। उन्होंने उसे वरदान दिया। हिरणकश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। हिरण्यकश्यप भागवत विष्णु को शत्रु मानते थे। उन्होंने अपने पुत्र को मारने के लिए तलवार उठाया था कि खंभा फट गया उस खंभे में से विष्णु भगवान नरसिंह का रूप धारण करके जिसका मुख शेर का व धड़ मनुष्य का था। प्रगट हुए भगवान नरसिंह अत्याचारी दैत्य हिरण्याक्ष को पकड़ कर उदर चीर कर वध किया। कथा में अजामिल उद्धार , ध्रुव चरित्र ,भागीरथ द्वारा गंगा को पृथ्वी पर लाना वह राजा सगर के साठ हजार पुत्रो का उद्धार का वाचन किया इस धार्मिक प्रसंग को आत्मसात करने के लिए भक्त देर रात तक भक्ति के सागर में गोते लगाते रहे। इस दौरान ग्रामवासी मौजूद रहे।
श्रीमद्भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग व उनके जन्म लेने के गूढ़ रहस्यों को कथा व्यास ने बेहद संजीदगी के साथ सुनाया। कथा प्रसंग सुनाते हुए कथा वाचक सुनीता स्वामी ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। कथा का संगीतमयी वर्णन सुन श्रद्धालुगण झूमने लगे। इस दौरान सुंदर सुंदर झांकियां निकाली गई
रात्रि में नानी बाई के मायरे का वाचन किया गया
कथा में कहा कि नानी बाई रो मायरो अटूट श्रद्धा पर आधारित प्रेरणादायी कथा है। जहां कथा के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण का गुणगान किया जाता है। भगवान को यदि सच्चे मन से याद किया जाए तो वे अपने भक्तों की रक्षा करने स्वयं आते हैं। सुनीता स्वामी ने कथा का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि नानी बाई रो मायरो की शुरूआत नरसी भगत के जीवन से हुई।

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