ऑपरेशन से पहले डॉक्टर ने लड़की से कहा- हनुमान चालीसा पढ़ो, बिना बेहोश किए 3 घंटे चली सर्जरी - Khulasa Online ऑपरेशन से पहले डॉक्टर ने लड़की से कहा- हनुमान चालीसा पढ़ो, बिना बेहोश किए 3 घंटे चली सर्जरी - Khulasa Online

ऑपरेशन से पहले डॉक्टर ने लड़की से कहा- हनुमान चालीसा पढ़ो, बिना बेहोश किए 3 घंटे चली सर्जरी

दिल्ली एम्स में ऑपरेशन का एक अनूठा मामला सामने आया है। यहां गुरुवार को 24 साल की एक युवती ने हनुमान चालीसा पढ़ते हुए अपनी सर्जरी कराई। उसका ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन होना था। हैरान करने वाली बात यह है कि 3 घंटे चली यह सर्जरी युवती को बिना बेहोश किए पूरी की गई।

इस घटना का एक वीडियो सामने आया है। इसमें डॉक्टर ऑपरेशन कर रहे हैं और लड़की के हनुमान चालीसा का पाठ करने की आवाज आ रही है। यह युवती एक स्कूल टीचर बताई जा रही है। उसके सिर में बाईं ओर ट्यूमर था। ऑपरेशन करने वाले डॉ. दीपक गुप्ता के मुताबिक युवती को पेनकिलर के इंजेक्शन दिए गए थे। वह अभी अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में है। उसे शनिवार को छुट्टी दे दी जाएगी।

डॉक्टर बोले- प्रार्थना से मरीज को फायदा होता है
डॉ. गुप्ता ने बताया कि सर्जरी के दौरान हम पेशेंट की आवाज और हाथ-पैर के मूवमेंट को देखते रहते हैं। इस केस में हमने लड़की से पूछा कि वह क्या बात करना चाहती है। उसने बताया कि वह हनुमान भक्त है।

हमने उससे कहा कि आप क्या सुनना चाहती हैं। इस पर उसने हमें हनुमान चालीसा सुनाया। इस सबका मकसद ये था कि पेशेंट और सर्जन के बीच बात होती रहे। अगर उसकी स्पीच में कोई इश्यू होता तो हम इसे पिकअप कर लेते। ट्यूमर ब्रेन के लेफ्ट साइड में था। इस ऑपरेशन में थोड़ा रिस्क रहता है। इसलिए हमने पेशेंट से कहा कि आप हमसे लगातार बात करती रहिए। पेशेंट ने हनुमान चालीसा का पाठ किया। इस दौरान सर्जरी ठीक से पूरी हो गई।

डॉ. गुप्ता ने कहा कि हनुमान चालीसा या कोई भी धार्मिक प्रार्थना करने से मरीज को भी फायदा मिलता है। पेशेंट को लगा कि भगवान का नाम लेने से उसकी सर्जरी अच्छे से होगी। ऑपरेशन थिएटर के अंदर भी ऐसी कोई एक्टिविटी होती है तो अच्छा माहौल रहता है। यह ऑपरेशन 3 घंटे चला। इस तरह के ऑपरेशन हम पिछले 20 साल से करते आ रहे हैं।

एक हफ्ते पहले भी हुई थी ऐसी सर्जरी
एम्स के न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट में एक हफ्ते पहले भी तीन मरीजों के ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन बिना बेहोश किए किया गया था। डॉक्टरों ने मरीजों के ब्रेन के ऊपरी हिस्से की नस को सुन्न किया, ताकि उन्हें दर्द न हो। इस तरह की सर्जरी में मरीज जल्दी रिकवर हो जाता है।

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