बीकानेर में वल्र्ड कप के दौरान करोड़ो रुपये का सट्टा

बीकानेर में वल्र्ड कप के दौरान करोड़ो रुपये का सट्टा

बीकानेर। जिला पुलिस अधीक्षक के सख्ती के कारण आईपीएल के दौरान शहर के नामी सटोरियों के नाक में दम करने वाले एसपी साहब वल्र्ड कप मैचों में हो रहे सट्टे पर अभी तक एक भी कार्यवाही नहीं की है। जबकि रविवार को वल्र्ड कप का हाईवोल्टेज मैच था मैच के दौरान शहर के नामी सटोरियों ने अपना जाल इस प्रकार से फैलाया कि पिरंदे भी नहीं आ सकते है। इस मैच में पुलिस को निराश ही हाथ लगी। अगर देखा जाये तो शहर के गंगाशहर, सुजानदेसर,जस्सूसर गेट, मोहता चौक, सिंगिायों का चौक, सुनारों का मौहल्ला, जेएनवी, रिडमलसर इलाकों में सटोरियों की भरमार है। इन क्षेत्रों मे बैठे सटोरियों के नाम बाहर के राज्यों से जुडे हुए है जो इनको पल पल की अपडेट देते रहते है। लेकिन पुलिस इन तक नहीं पहुंच पा रही है इसका मुख्य कारण है इन सटोरियों के सरगना की अप्रोच ऊपर के अधिकारियों तक है। जानकारी ऐसी मिली है वल्र्डकप से पहले ही सभी थानाधिकारियों ने अपने अपने क्षेत्र में रह रहे सटोरियों से बात करके कहा कि पुलिस अधीक्षक साहब की सख्ती है सो काम करो तो थोड़ा ध्यान से करना। बाकी आप चिंता मत करो हम बैठे है जो होगा वो देख लेंगे।
अब तक हो चुका करोड़ों रुपये से ऊपर का सट्टा
अगर माना जाया तो पूरे भारत में अभी बीकानेर में सट्टा बाजार काफी चरम पर है जितना सट्टा बीकानेर से होता है उतना कही से भी नहीं होता है। ये पूरे शहर में सट्टेबाज बैठे है जो अपना जाल राज्यों से होकर विदेशों तक फैला रखा है। लेकिन पुलिस की पकड़ से दूर है। पुलिस पर ज्यादा दबाब पड़ता है तो एक दो कार्यवाही करके वाहीवाही लूट कर फिर वहीं ढाक के तीन पत्ते वाले बात सामने आती है।
सटोरियों व थानाधिकारियों के बीच हुई सेटिग
जानकारी ऐसी मिली है कि सटोरियों ने सभी थानाधिकारियों व बीट कांस्टेबलों से अपनी पूरी सेटिंग कर ली है जिससे उनके काम में कोई व्यवधान नहीं पड़े और सटोरियों अपना काम बिना कोई डर के कर रहे है। पुलिस चोरों को दूसरे शहरों से पकड़ कर ले आती है लेकिन उसके क्षेत्र में हो रहे सट्टेबाजी की तरफ ध्यान नहीं जा रहा है। क्या मुखबिर की सूचना पर भी पुलिस कार्यवाही नहीं करती है।
पेंटरों को रखते है धोखे में
प्राय: देखा जाता है कि पेंटरों के ही पैसे लगते है इसका कारण है कि टीवी पर दिखाया जाने वाला लाईव मैच और सटोरियों के पास जो डिब्बा होता है उसमे एक बॉल का फर्क होता है। जब टीवी पर खिलाड़ी खेलता हुये दिखाई देता है वहीं डिब्बे का लाईव में वह आऊट होकर दूसरा खिलाड़ी क्रीज पर आ जाता है तब तक सटोरियां पेंटरों को भाव ऊंचे नीचे करके देते है जिसके कारण पेंटरों के पैसे लगते है।

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