तेज गर्मी और हीट वेव के लिए रहें तैयार, मानसून रहेगा सामान्य
नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग ने मौसम पर सबसे अधिक असर डाला है। कहीं बारिश अधिक पडऩे लगी है तो कहीं सूखा अधिक। इसका असर फसलों, आर्थिक क्षति के तौर पर भी दिख रहा है। वहीं इस कारण से बीमारियों का खतरा भी बढ़ा है। जागरण न्यू मीडिया के सीनियर एडिटर अनुराग मिश्र ने अर्थ डे के मौके पर स्काईमेट वेदर के वाइस प्रेसीडेंट महेश पलावत से मौसम से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर बात की।
बीते कई सालों से मानसून का पैटर्न बदल रहा है। बीते साल का ही उदाहरण ले लें पश्चिमी राजस्थान में सूखा था, पूर्वी राजस्थान में बाढ़ आई थी। क्लाइमेट चेंज की वजह से साइक्लोन अधिक आ रहे हैं। बारिश गरज और चमक के साथ होती है। पहले जहां एक निर्धारित मात्रा की बारिश चार से पांच दिन में होती थी वहीं अब यह बारिश एक दिन में चार से पांच घंटे में हो जाती है इससे किसानों को फायदा नहीं होता है। क्लाइमेट चेंज का असर भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में दिख रहा है। पूरी दुनिया में जंगलों में आग हो रही है।
प्रकृति अपने आपको बैलेंस करती है। एक पूरी श्रृंखला होती है जिससे हर व्यक्ति, जीव का चक्र चलता था। आबादी बढऩे, इंडस्ट्री बढऩे से पर्यावरण से खिलवाड़ हुआ है। खेत खत्म हो गए उनकी जगह ईमारतें बन गई। ग्रीन कवर खत्म हो रहा है। कॉर्बन उत्सर्जन बढ़ रहा है। पेट्रोल, ईंधन के इस्तेमाल से पर्यावरण गर्म हो रहा है। यही मूसलाधार बारिश के कारण बनते हैं। बीते पचास सालों में इनकी दर बढ़ती जा रही है।