Gold Silver

बावजी चतुरसिंह राजस्थानी अनुवाद पुरस्कार से नवाज़ा गया राजूराम बिजारणियां को

राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी का पुरस्कार समारोह सम्पन्न

प्रेमजी प्रेम युवा पुरस्कार देवीलाल और मनुज देपावत पुरस्कार मिला कल्पना को, ‘सरोकार’ लूणकरणसर के नाम रहे तीन पुरस्कार

लूणकरणसर, 21अगस्त। सोमवार को वेटेनरी यूनिवर्सिटी ऑडिटोरियम, बीकानेर में सम्पन्न हुए राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के पुरस्कार समारोह में लूणकरणसर के कलमकार राजूराम बिजारणियां को प्रतिष्ठित बावजी चतुरसिंह राजस्थानी अनुवाद पुरस्कार से नवाज़ा गया। उन्हें यह सम्मान समारोह के मुख्यातिथि राजस्थान के शिक्षा, कला साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी.कल्ला, अकादमी अध्यक्ष शिवराज छंगाणी उपाध्यक्ष भरत ओळा के करकमलों से प्राप्त हुआ। बिजारणियां को यह सम्मान पंजाबी से राजस्थानी में अनुदित कविता संग्रह ‘झोकड़ी खावतो बगत’ के लिए दिया गया। बिजारणियां ने साहित्य अकादमी की अनुवाद परियोजना के तहत पुस्तक का पंजाबी कवयित्री मंजीत टिवाणा की पुस्तक का राजस्थानी भाषा में अनुवाद किया था जो साहित्य अकादमी द्वारा 2019 में प्रकाशित किया गया। इकत्तीस हजार हजारी पुरस्कार में उनका सम्मान-पत्र, श्रीफल, शॉल और राजस्थानी साफा पहनाकर अभिनन्दन किया गया।
समारोह में बिजारणियां के अनुवाद पुरस्कार के अलावा लूणकरणसर क्षेत्र के खारी गांव के देवीलाल महिया को उनके कविता संग्रह ‘अंतस रो ओळमो’ के लिए प्रेमजी ‘प्रेम’ राजस्थानी युवा लेखन पुरस्कार दिया गया। महिया की यह पहली किताब है। वहीं इक्कीस एकेडमी फ़ॉर एक्सीलेंस, गोपल्याण से की छात्रा और महाजन निवासी कल्पना रंगा को उनकी राजस्थानी कहानी ‘कंवळै मन री डूंगी पीड़’ पर मनुज देपावत विद्यालय स्तरीय पुरस्कार दिया गया।
समारोह के मुख्यातिथि डॉ. कल्ला ने इस अवसर पर कहा कि राजस्थानी अत्यंत समृद्ध भाषा है। संवैधानिक मान्यता राजस्थानी भाषा का वाजिब हक है। केंद्र सरकार को राजस्थान विधानसभा द्वारा 25 अगस्त 2003 को पारित संकल्प प्रस्ताव के क्रम में राजस्थानी भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करना चाहिए। प्रदेश के सांसदों का यह कर्तव्य है कि वे भाषा की बात को जोर-जोर से उठाए और राजस्थानी भाषा को उसका अधिकार दिलाएं।
गौरतलब है कि तीनों सम्मानित रचनाकार लूणकरणसर की कला, साहित्य को समर्पित संस्था ‘सरोकार’ से जुड़े हैं। सरोकार और लूणकरणसर क्षेत्र के नाम पहली बार एक साथ तीन पुरस्कार मिलने पर ‘सरोकार’ संस्था में खुशी का माहौल रहा।
सरोकार से जुड़े डॉ मदन गोपाल लढ़ा ने खुशी का इज़हार करते हुए बताया कि गत कई वर्षों से लूणकरणसर में सरोकार संस्थान के माध्यम से साहित्यिक वातावरण बना है, यह गौरवान्वित करने वाला है। सरोकार संस्थान से जुड़े ओंकारनाथ योगी, गोरधन गोदारा, रामजीलाल घोड़ेला, छैलूदान चारण, दलीप थोरी, जगदीशनाथ भादू, केवल शर्मा, दुर्गाराम स्वामी, कमल पीपलवा, कान्हा शर्मा, रामेश्वर स्वामी, भूपेन्द्र नाथ सहित विभिन्न जनों ने बधाई प्रेषित की।

Join Whatsapp 26