
सावधान! राजस्थान में ये शब्द हो गए बैन, मुंह से निकले- तो पुलिस दर्ज करेगी एफआईआर,






जयपुर। राजस्थान में अब विपक्षी दलों के नेताओं को रैलियों और सभाओं में भाषण देने से पहले एक नहीं बल्कि दस बार सोचना होगा। बरसों से चली आ रही ‘परंपरागत’ भाषण के तरीके को बदलना होगा। खासतौर से तीन-चार शब्द तो वो अपनी ज़बां से भूलकर भी नहीं निकाल सकेंगे। क्योंकि अगर ऐसा किया तो उन ‘माननीय’ नेताजी के खिलाफ सख्त कार्रवाई तय है। यहां तक कि ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस भी एफआईआर दर्ज कर सकेगी।
दरअसल, राजस्थान में अब से किसी भी रैली या सभा में विपक्षी नेता सरकार के खिलाफ नाराज़ी ज़ाहिर करने पर ‘लूली-लंगड़ी’, ‘गूंगी-बहरी’ और ‘अंधी सरकार’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। इन शब्दों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है। इन चुनिंदा शब्दों को यदि किसी नेता ने, किसी जनप्रतिनिधि ने या आमजन में से किसी ने भी काम में लिया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है।
राज्य विशेष योग्यजन आयुक्त न्यायालय ने इन शब्दों के इस्तेमाल को विशेष योग्यजनों के लिए अपमानजनक मानते हुए ऐसे मामलों में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, पिछले दिनों एक विधायक के ऐसे ही बोल सामने आने थे, जिसकी शिकायत राज्य विशेष योग्यजन आयुक्त न्यायालय को मिली थी।
शिकायत मिलने के बाद इस विषय को ना सिर्फ गंभीर माना गया, बल्कि इस तरह की भाषा और टिप्पणियों को विशेष योग्यजनों के लिए अपमानजनक भी माना गया। इसके बाद अब विशेष योग्यजनों के लिए ठेस पहुंचाने वाले ऐसे शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मुहिम शुरू हो गई है।
पूर्व विधायक के बिगड़े बोल
राज्य विशेष योग्यजन आयुक्त न्यायालय के पास शिकायत आई थी कि पूर्व विधायक भैराराम सियोल ने रैली में विशेष योग्यजनों को ठेस पहुंचाने वाले शब्दों का इस्तेमाल किया।
विशेष योग्यजन आयुक्त न्यायालय में आयुक्त उमाशंकर शर्मा ने इस पर प्रसंज्ञान लेकर विशेष योग्यजनों को नीचा दिखाने वाले शब्दों का इस्तेमाल रोकने का आदेश दिया। साथ ही, कहा है कि विशेष योग्यजन जीवन में कई चुनौतियां झेलते हैं, ऐसे में जनप्रतिनिधियों द्वारा इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया जाना अफसोसजनक है। इस आदेश की पालना के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव, राज्य निर्वाचन आयोग, विशेष योग्यजन निदेशालय, सभी कलक्टरों व जिला पुलिस अधीक्षकों को दिशा निर्देश जारी किए गए हैं और पालना रिपोर्ट भी मांगी है।
ऐसे में विशेष योग्यजनों से संबंधित इस मुद्दे को अभियान का रूप देने के प्रयास शुरू हो गए हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस अभियान के जरिए नेताओं को जागरुक करने की जिम्मेदारी राजनीतिक दलों और जिला कलक्टरों को सौंपी है, वहीं विशेष योग्यजन निदेशालय ने जिलों में तैनात अपने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।
विशेष योग्यजन निदेशक के लिए: जागरुकता लाएं, ताकि विशेष योग्यजनों से संबंधित कानून का पालन हो सके।
– राज्य निर्वाचन आयोग के लिए : जनप्रतिनिधियों के भाषणों की समीक्षा करें और कोई विशेष योग्यजनों से संबंधित कानून का उल्लंघन करे तो कार्रवाई की जाए।
– राजनीतिक दलों के लिए: अपने प्रतिनिधियों को समझाएं ताकि वे शब्द या आचरण से विशेष योग्यजनों के को ठेस नहीं पहुंचाएं।
– कलक्टरों के लिए: कानून के प्रति जागरुकता बढ़ाने का प्रयास करें।
– एसपी के लिए: थानों को निर्देशित किया जाए कि विशेष योग्यजन अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल को लेकर सहजता से शिकायत कर सकें और आसानी से उनकी एफआईआर दर्ज की जाए।


