
अर्जुन ने आरएसएस को भी साधा,उपमहापौर के लिये धवल आगे





बीकानेर। एक समय था कि लोकसभा व विधानसभा चुनाव सहित अनेक चुनावों में आरएसएस मुख्य भूमिका में रहती थी। लेकिन समय के बदलाव के साथ ही अब राजनीतिक समीकरणों में आरएसएस की पसंद को भाजपा नकार रही है। जिसका जीता जागता उदाहरण बीकानेर के कई चुनाव रहे है। हाल ही सम्पन्न नगर निगम के चुनावों में भी ऐसा देखने को मिला। पहले टिकट वितरण में और अब महापौर व उपमहापौर के चयन में केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने आरएसएस पर भी निशाना साधते हुए अपनी पसंद के महापौर व उपमहापौर पर दावं खेला है। राजनीतिक जानकार मानते है कि लोकसभा चुनावों में जिस तरह अर्जुनराम को असहयोग का माहौल देखने को मिला। उससे व्यथित होकर मेघवाल ने पहले विधानसभा चुनाव और फिर निगम चुनावों में सक्रियता दिखाते हुए प्रदेश के शीर्षस्थ नेताओं को मार्गदर्शन देकर अपने चेहतों को टिकट दिलवाया। अंदरखाने की बात तो ये भी है कि विधानसभा में कुछ सीटों पर पर्दे के पीछे रहकर भाजपा के प्रत्याशियों को लोकसभा चुनाव में सहयोग न करने का सबब सिखाया। इतना ही नहीं बीकानेर पश्चिम सीट पर आरएसएस की ओर से तय किये गये नाम को भी ठंडे बस्ते में डलवा दिया।
निगम में अर्जुन राज
पिछले विधानसभा चुनाव से चल रहे घटनाक्रम में केन्द्रीय मंत्री ने चाणक्य की भूमिका निभाते हुए स ंगठन को अपने चक्रव्यूह में फंसा लिया। जानकार बताते है कि अर्जुनराम की टीम ने जिलाध्यक्ष व स ंगठन के तीन चार पदाधिकारियों को अपने पक्ष में लेकर अपने निर्णयों पर मुंहर लगा ली। अब निगम चुनावों में पहले टिकट वितरण और अब महापौर तथा उपमहापौर के चुनाव में भी अपने चेहतों पर पार्षदों की रजामंदी करवाकर पार्टी के सभी रणनीतिकारों और आरएसएस को धूल चटा दी है। सूत्र बताते है कि निगम में अब अर्जुनराम होने जा रहा है। महापौर के लिये भाजपा ने जहां सुशीला कंवर का नाम तय किया है तो उपमहापौर के लिये विनोद धवल पर रजामंदी बना ली है।
चक्रव्यूह में फंसा संगठन
राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा है कि पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली शिकस्त के बाद अर्जुनराम ने पार्टी पर अपना शिकंजा कसते हुए संगठन के आला पदाधिकारियों को अपने चक्र व्यूह में फंसा लिया। पार्टी के संवैधानिक नियमों के अनुसार संगठन के निर्णयों को हमेशा तरजीह दी जाती है। यहीं वजह रही कि अर्जुन ने अपने विरोधियों को शह देने के लिये संगठन को अपना जरिया बनाया और सभी चक्रव्यूह को तोड़ जिले की राजनीति में अपना ओहदा बढ़ाया। किन्तु इस राजनीतिक घटनाक्रम में भाजपा की रीढ़ रही आरएसएस को भी मात झेलनी पड़ी।

