
एक और सरकारी स्कूल की गिरी छत, हादसे के बाद भी प्रशासन ने नहीं लिया सबक, बीकानेर की स्कूलों के ये है हाल, देखे वीडियो





एक और सरकारी स्कूल की गिरी छत, हादसे के बाद भी प्रशासन ने नहीं लिया सबक, बीकानेर की स्कूलों के ये है हाल, देखे वीडियो
खुलासा न्यूज़। राजस्थान के नागौर जिले के डेगाना उपखंड के खारियावास क्षेत्र में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय खारिया की ढाणी में शुक्रवार को एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया। स्कूल की जर्जर छत अचानक भरभराकर गिर गई। गनीमत रही कि उस समय कक्षा में कोई बच्चा मौजूद नहीं था, जिससे जनहानि टल गई। यह घटना सुबह के समय हुई, जब स्कूल में प्रार्थना सभा से पहले का समय था।
स्थानीय ग्रामीणों और शिक्षकों ने तुरंत मलबा हटाने का काम शुरू किया। इस घटना ने राज्य में सरकारी स्कूलों की जर्जर इमारतों की स्थिति पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।
हाल ही में झालावाड़ के पिपलोदी गांव में सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत और 21 बच्चे घायल हो गए। जिसके बाद प्रशासन से ऐसी घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई की मांग उठ रही है। स्थानीय लोगों ने बताया कि स्कूल भवन की खराब स्थिति के बारे में कई बार प्रशासन को सूचित किया गया था। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जिले में कई सरकारी विद्यालयों के भवन जर्जर
झालावाड़ में सरकारी स्कूल का हिस्सा गिरने से सात बच्चों की मौत की घटना से जिले के स्थानीय प्रशासन व शिक्षा विभाग को सबक लेने की जरूरत है। अगर समय रहते विद्यालय भवनों की सुध नहीं ली तो कई घरों के चिराग के साथ हादसा हो सकता है। जानकारी के अनुसार बीकानेर में भी कई विद्यालय ऐसे हैं जिनकी हालत जर्जर बनी हुई है।
खाजूवाला उपखण्ड क्षेत्र के 24 बीडी स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय की बदहाल स्थिति एक बार फिर सामने आई है। हाल ही में हुई बारिश के बाद स्कूल परिसर जलमग्न हो गया, जिससे बच्चों को गंदे पानी से होकर कक्षाओं तक पहुंचना पड़ रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही दो दिन पुरानी तस्वीरें और आज के हालात ने शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विद्यालय भवन जर्जर अवस्था में है, छत से लगातार पानी टपकता है, चारों ओर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। बच्चों को ऐसे अस्वच्छ और असुरक्षित माहौल में शिक्षा प्राप्त करनी पड़ रही है। शौचालय टूटे हुए हैं और अत्यंत गंदे हालात में हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बना हुआ है।
मिड-डे मील योजना की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में है। विद्यालय के रसोईघर में गंदगी भरी हुई है और वहां भी बारिश का पानी घुस चुका है। ग्रामीणों ने बताया कि वे कई बार शिक्षा विभाग और प्रशासन को विद्यालय की स्थिति से अवगत करवा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि किसी दिन कोई अनहोनी घट जाती है, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? करोड़ों रुपए शिक्षा पर खर्च किए जा रहे हैं, मगर जमीनी स्तर पर हालत बेहद शर्मनाक हैं।
अब बड़ा सवाल यह है कि बच्चों की ज़िंदगी से यूं कब तक खिलवाड़ होता रहेगा और कब जागेंगे जिम्मेदार?


