अंजीब संयोग: विधानसभा भवन में 20 साल से एक साथ नहीं बैठे सभी 200 विधायक

अंजीब संयोग: विधानसभा भवन में 20 साल से एक साथ नहीं बैठे सभी 200 विधायक

जयपुर। राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भंवरलाल मेघवाल के निधन के बाद राज्य विधानसभा में सभी 200 विधायकों के एक साथ नहीं बैठने के संयोग को लेकर फिर राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी है। लंबी बीमारी के बाद मेघवाल का सोमवार को निधन हो गया। दरअसल, राज्य विधानसभा भवन में पिछले 20 साल से सभी 200 विधायक एक साथ पूरे पांच साल तक नहीं बैठे। मेघवााल और पिछले माह कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन के बाद 200 सदस्यीय विधानसभा में विधायकों की संख्या 198 ही रह गई। करीब दो साल पूर्व मौजूदा विधानसभा के साल, 2018 में चुनाव हुए थे। उसके बाद विधायक हनुमान बेनीवाल व नरेंद्र खींचड़ के सांसद बनने के बाद उनके विधानसभा क्षेत्रों खींवसर व मंडावा में उपचुनाव हुए थे। इससे पहले पिछली वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में भाजपा विधायक धर्मपाल चौधरी,कल्याण सिंह व कीर्ति कुमारी का निधन होने से इनकी सीटों पर भी उपचुनाव करवाने पड़े थे।
वहीं 15वीं विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया के दौरान रामगढ़ के बसपा उम्मीदवार का निधन हो गया। इस कारण रामगढ़ सीट पर भी उपचुनाव करवाने पड़े। इससे पूर्व 2013 में भी चूरू में प्रत्याशी की मौत की वजह से 200 के बजाय 199 विधानसभा क्षेत्रों में ही चुनाव हुआ था।एक बार तो ऐसा संयोग भी हुआ कि चार विधायकों को अलग-अलग कारणों से जेल जाना पड़ा। अब मेघवाल व त्रिवेदी की मौत के बाद विधायकों में भय व्याप्त होता जा रहा है। पिछले सालों में विधायकों ने विधानसभा परिसर की गंगाजल से शुद्धि कराने,हवन-पूजन कराने और वास्तु विशेषज्ञ की सलाह लेने की सलाह अध्यक्षों को दी है।
भाजपा विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने तो एक बार जांच कमेटी बनाने तक की बात कही थी। पिछली वसुंधरा राजे सरकार के मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर ने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष कै लाश मेघवाल से परिसर में भूत का साया होने की बात कही थी। उन्होंने पूरे परिसर को गंगाजल से धूलवाने व हवन-पूजन कराने का आग्रह किया था। इसी तरह हबीबुर्रहमान ने 200 विधायकों के एक साथ नहीं बैठने का कारण भूतों को बताया था ।
यह है पुराना इतिहास
साल, 2000 तक विधानसभा पुराने जयपुर के रियासतकालीन टाउन हॉल में चलती थी। साल, 2001 में ज्योतिनगर में नया भवन बनकर तैयार हुआ तो विधानसभा यहां शिफ्ट हो गई। 25 फरवरी, 2001 को तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर.नारायण को उद्धाटन करने आना था, लेकिन वे बीमार हो गए। नये भवन की शिफ्टिंग के बाद से एक संयोग चला आ रहा है कि पिछले 20 साल में एक साथ पूरे पांच साल के क ार्यकाल में 200 विधायक नहीं बैठे। नये भवन में शिफ्टिंग के साथ ही तत्कालीन ददो विधायक भीखा भाई और भीमसेन चौधरी की मौत हो गई थी। 2002 में किशन मोटवानी व जगत सिंह दायमा का निधन हुआ था।

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