‘महामारी भारत के असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे 40 करोड़ मजदूरों को गरीबी में धकेल सकती है’

‘महामारी भारत के असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे 40 करोड़ मजदूरों को गरीबी में धकेल सकती है’

नई दिल्ली। इंटरनेशनल लेबर आर्गनाइजेशन (आईएलओ) की मंगलवार को आई रिपोर्ट में यह कहा गया है कि कोरोनावायरस संकट भारत के असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे 40 करोड़ श्रमिकों को गरीबी में धकेल सकता है। क्योंकि वायरस से निपटने के लिए लॉकडाउन के अलावा कई तरह के ऐसे कदम उठाए गए, जिसका असर नौकरियों और कमाई पर पड़ा है। आईएलओ के मुताबिक, भारत उन देशों में शामिल है, जो इस तरह के हालात से निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार नहीं है। जिनेवा में जारी हुई आईएलओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की रोकथाम के लिए लॉकडाउन और दूसरे उपायों की वजह से भारत, नाइजीरिया और ब्राजील की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम कर रहे मजदूर ज्यादा प्रभावित हैं। भारत में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में 90 फीसदी मजदूर काम करते हैं, जिन पर रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के इंडेक्स में भी भारत के लॉकडाउन को सबसे ऊपर रखा गया है। इसने शहरों में काम करने वाले मजदूरों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया और उन्हें गांव वापस लौटने पर मजबूर किया। इतना ही नहीं, रिपोर्ट में कहा गया है कि जो देश पहले से ही प्राकृतिक आपदाओं, लंबी लड़ाई और विस्थापन का सामना कर रहे हैं। उनपर महामारी का बोझ कई गुना बढ़ जाएगा। ऐसा इसलिए भी होगा, क्योंकि यहां लोगों के पास स्वास्थ्य और सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। यहां श्रमिकों के लिए वर्कप्लेस पर बहुत अच्छे हालात नहीं है, न ही सामाजिक सुरक्षा पर जोर है

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