
आसमान से बरसेगा अमृत : चंद्रमा की रोशनी में ‘108 बार सुई पिरोना’, खीर का भोग बनेगा अमृत





आसमान से बरसेगा अमृत : चंद्रमा की रोशनी में ‘108 बार सुई पिरोना’, खीर का भोग बनेगा अमृत
6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है और शाम को 5:43 बजे चंद्रोदय हो जाएगा। शरद पूर्णिमा से कार्तिक मास आरंभ हो जाता है अत: इस दिन से कार्तिक स्नान व्रत और आकाश दिया जलाना आरंभ करते हैं। पं. गिरधारी सूरा पुरोहित ने बताया कि शरद पूर्णिमा को रासोत्सव मनाया जाता है। रात्रि में घर में ठाकुरजी को सफेद वस्त्र पहना कर घर के बगीचे या छत पर विराजमान करके दर्शन करना चाहिए। खीर, पूड़ी, पकौड़ी की रसोई बनाकर भगवान के भोग लगाना चाहिए। मतीरा, कोरा पान, सूखे मेवे का भोग लगाना चाहिए। इस रात्रि में भजन-कीर्तन अवश्य करना चाहिए। आधी रात यानि रात्रि को बारह बजे के बाद जब चंद्रमा बीच आकाश में हो तब भगवान के भोग लगी खीर, दूध, घी, शक्कर, बड़क, फल और मतीरे के दो टुकड़े करके चोकोर काटकर चंद्रमा के भोग के लिए खुली छत पर चंद्रमा की किरणें उस पर पड़े ऐसे स्थान पर रखें। शीशियों में इलायची, काली मिर्च, लौंग आदि भी रखनी चाहिए फिर वर्षभर उन्हें खाना चाहिए। इस रात्रि में चंद्रमा अमृत वर्षा करता है तो यह सब अमृत बन जाता है। खास बात यह है कि चंद्रमा की रोशनी में 108 बार सूई पिरोना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे आंखों की रोशनी बढ़ती है। शरद पूर्णिमा के दिन चांद अपनी 16 कलाओं से युक्त होकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है। पूर्णिमा की रात में जिस भी चीज पर चंद्रमा की किरणें गिरती हैं, उसमें अमृत का संचार होता है। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात में खीर बनाकर पूरी रात चंद्रमा की रोशनी में खीर को रखा जाता है और सुबह उठकर यह खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती है। साथ ही जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा शुभ फल नहीं देते हैं, उन्हें तो इस खीर का सेवन जरूर करना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी सबसे प्रसन्न मुद्रा में होती हैं। शरद पूर्णिमा की रात को एक लोटे में पानी भरें, उसमें चावल और फूल डालें. फिर इसे चंद्रमा की ओर मुख करके अर्पित करें. शरद पूर्णिमा की रात को तुलसी की पूजा करना बेहद शुभ होता है. तुलसी के पौधे के पास शुद्ध घी का दीपक जलाएं. तुलसी माता को प्रणाम करें और अपने घर में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें.

