यूक्रेन और रुस के बीच युद्ध के बाद एयरफोर्स नेवी के जवानों ने जाइंट एक्शन में - Khulasa Online

यूक्रेन और रुस के बीच युद्ध के बाद एयरफोर्स नेवी के जवानों ने जाइंट एक्शन में

बीकानेर । यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के बाद भारतीय सेना अपने तीनों फॉरमेट पर बेहतर काम करने के मूड में है। आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के जवानों के जाइंट एक्शन से दुश्मन को तबाह करने की योजनाओं पर विशेष काम हो रहा है। बीकानेर के महाजन फिल्ड फायरिंग रेंज (रूरूक्रस्न) में सोमवार संपन्न हो रहे “शत्रुनाथ” एक्सरसाइज का उद्देश्य भी ऐसा ही नजर आया। फिलहाल आर्मी और एयरफोर्स के जवान मिलकर युद्धाभ्यास कर रहे हैं।
एशिया की सबसे बड़ी फायरिंग रेंज में इंडियन आर्मी और एयरफोर्स के हथियारों का जमकर इस्तेमाल हुआ। आर्मी के भीष्मा (टी-90 टैंक) और अजेया (टी-72 टैंक), ्य9 वज्र शरंग आर्टीगन के साथ मैदान में उतरे तो उनको फिल्ड सपोर्ट देने के लिए एयरफोर्स के फाइटर जेट्स तैनात किए गए। फायरिंग रेंज के धोरों के बीच दुश्मन के ठिकाने बनाए गए थे। दोनों सेना के जवानों ने आपसी समन्वय करते हुए इन ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। समय और निशानों पर वार के समन्वय को सभी ने सराहा। जमीनी और हवाई हमलों में जवानों ने गजब का हौंसला दिखाया।
धमाकों से थर्राया रेगिस्तान
बीकानेर के महाजन में हो रहे इस युद्धाभ्यास में सुबह दस बजे से बारह बजे तक एक के बाद एक धमाकों से रेगिस्तान थर्राने लगा। फाइटर प्लेन अपने स्थान से उडऩे के बाद कुछ ही सैकंड में दुश्मन के छद्म ठिकानों पर पहुंचते और हमला करके गायब हो जाते। पीछे इन धमाकों की आवाज और धोरों से उठते गुब्बार ही दिखाई दिए।
आर्मी इंटेलीजेंस का कमाल
रूस और यूक्रेन युद्ध को ध्यान में रखते हुए इस युद्धाभ्यास में आर्मी इंटेलीजेंस को भी केंद्र में रखा गया। दुश्मन का ठिकाना कहां है और वहां किस तरह से वार किया जा सकता है, इसकी गोपनीय सूचनाओं के आधार पर हमले किए गए। गोपनीय सूचनाएं और दोनों सेनाओं के बीच इसका समन्वय इस युद्धाभ्यास की विशेषता रही। सप्त शक्ति कमान के निर्देशन में हुए इस युद्धाभ्यास में नेवी की कमी तो खली लेकिन इसी को ध्यान में रखते हुए सेना नेवी एरिया में इसका भी अभ्यास कर रही है।
जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल ए.एस. भिंडर ने विभिन्न कॉबैट और कॉम्बैट सपोर्ट दस्तों को इस मौके पर खास शाबासी दी। भिंडर ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के तहत शामिल किए गए स्वदेशी हथियारों व उपकरणों के साथ क्षमता बढ़ानी चाहिए।

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