आचार्य  महाश्रमण जी के दर्शन के बाद डालचंद राखेचा के मन में जगे संथारा के भाव

आचार्य  महाश्रमण जी के दर्शन के बाद डालचंद राखेचा के मन में जगे संथारा के भाव

खुलासा न्यू लुणकनसर बीकानेर संवाददाता लोकेश कुमार बोहरा।  *जैन धर्म में जीवन के अंतिम समय में सबसे बड़ा धर्म है जिसे संथारा बोलते हैं जिसमें मनुष्य पूरी तरह अपनी मोह माया व अन्न् त्याग कर देता है। आचार्य श्री महाश्रमण जी के दर्शन के बाद इन्होंने आत्म कल्याण के लिए संथारा का भाव जगाया 3 दिन उपवास (तेला) के साथ आज सुबह 8:29 बजे आचार्य श्री महाश्रमण जी के आदेसा अनुसार शासन श्री साध्वी श्री पान कुमारी जी दिव्त्य की आज्ञा से शिष्या साध्वी श्री मंगलयशा श्री जी के द्वारा तिविहार संथारा का प्रत्याखान करवाया गया श्री डालचंद राखेचा पुत्र स्व: श्री मोतीचंद राखेचा लूणकरणसर का सभी परिवार जन एवंम समाज के वरिष्ठ प्रबुद्ध जनों के समान उपस्थिति में सहमति से संथारा का पचंखान करवाया गया पूरी चेतना के साथ।

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