
पीएचडी करने के बाद अपने नाम के आगे डॉक्टर शब्द नहीं लिख सकेंगे नर्सिंगकर्मी






जयपुर । अस्पतालों के वार्डों और आईसीयू में हर समय साथ रहकर सेवा देने और कॉलेजों में पढ़ाने वाले नर्सेज से चिकित्साविभाग ने पीएचडी करने के बाद अपने नाम के आगे डॉक्टर शब्द लगाने की अनुमति नहीं दी है। चिकित्सा विभाग के निदेशक(अराजपत्रित) सुरेश नवल ने पीएचडी कर चुके नर्सेज को अपने नाम के आगे डॉक्टर नहीं लिखने का आदेश निकालकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) नई दिल्ली के आदेश को चुनौती दी है।
ऐसे में राज्य के पीएचडी कर चुके 200 से ज्यादा नर्सेज अनुमति नहीं मिलने पर परेशानी में आ गए हैं। अब मामला मुख्यमंत्री,चिकित्सा मंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री, मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव (चिकित्सा एवं मेडिकल शिक्षा) के पास पहुंच चुकाहै।
इन्होंने अनुमति मांगी, लेकिन नहीं दी
सुरेन्द्र कुमार, संतोष कुमार सिंघल और विनोद कुमार पारीक ने पीएचडी इन नर्सिंग की उपाधि के बाद नाम के आगे डॉक्टर शब्दलगाने का प्रस्ताव निदेशालय को भेजा था, लेकिन अनुमति नहीं दी गई। जबकि वर्ष-2017 में अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन) राकेशशर्मा ने मूलचंद पंवार को लोक प्रशासन विषय में पीएचडी उपाधि मिलने पर अपने मूल नाम से पूर्व डॉक्टर शब्द लिखने की अनुमति दी है।
आदेश वापस लें, अन्यथा प्रदेश भर में आंदोलन
राजस्थान नर्सेज एसोसिएशन के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह शेखावत व नर्सिंग टीचर एसोसिएशन ऑफ इंडिया केप्रदेशाध्यक्ष पुरुषोत्तम कुंभज कहना है विभाग का आदेश एक तुगलकी फरमान है। इससे हेल्थ के क्षेत्र में होने वाली रिसर्च को धक्कालगेगा। विभाग को इस आदेश को तुरन्त वापस लेना चाहिए।अन्यथा प्रदेश भर में आंदोलन किया जाएगा। जब-जब भी राज्य में चाहे स्वाइन फ्लू हो या कोविड महामारी फैली है। हर समयनर्सेज अपनी जिन्दगी को दांव पर लगाकर मरीजों की सेवा की है। कोरोनाकाल में ऑक्सीजन की कमी आने पर बी.एससी, एम.एससी और पीएचडी नर्सिंग की ओर से किया गया शोध कार्य मरीजों के लिए संजीवनी साबित हुआ। मौजूदा स्थिति में स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए जा रहे शोध कार्यों से काफी फायदा मिल रहा है। यूजीसी के नियमानुसार डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) करने के बाद कोई भी अपने नाम के आगे डॉक्टर लगा सकता है। कि सी भी विषय में पीएचडी करने के बाद डॉक्टर लगाने का अधिकार है। यह एक तरह से डॉक्टरेट की उपाधि है।


